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छत्तीसगढ़ में कोरबा के काले चावल का जादू, ऑनलाइन बाजार में 400 रुपये प्रति किलोग्राम

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कोरबा। कोरबा के काले चावल का जादू बंगाल से लेकर ऑनलाइन बाजार तक पर कायम होता जा रहा है। औषधीय गुणों से भरपूर सेहत के लिए लाभकारी चावल को बाजार मिलने के साथ उत्पादन का रकबा दो साल के अंदर 10 एकड़ से बढ़कर इस वर्ष 250 एकड़ पहुंच गया है। देश के अन्य हिस्सों में भी शुगर के मरीजों के लिए भी उपयोगी इस चावल का उत्पादन होता है परंतु छत्तीसगढ़ के सरगुजा तथा बस्तर के वनों से सटे क्षेत्रों के काले चावल को गुण और स्वाद अपनी विशेषता से पहचान बना रहा है।

सामान्य धान से दोगुनी कीमत पर हाथों हाथ बिक गई 

किसानों को 125 से 150 रुपये तक का भाव मिल रहा है तो ऑनलाइन बाजार में 399 रुपये प्रतिकिलो के भाव से उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है। समाजसेवी संस्था, बुखरी गांव विकास शिक्षण समिति की पहल पर दो साल पहले कोरबा जिले के करतला ब्लॉक में किसानों ने दस एकड़ में काले चावल के लिए धान की बुआई की। हाथों हाथ फसल सामान्य धान से दोगुनी कीमत पर बिक गई। पिछले वर्ष करीब 25 टन ब्लैक राइस कोलकाता की एक ट्रेडिंग कंपनी ने खरीद लिया।

शहरों में काला चावल 400 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा

समिति के अध्यक्ष सूर्यकांत सोलखे ने बताया कि नाबार्ड से ट्रेनिंग के बाद किसानों ने फसल उत्पादन शुरू किया। किसानों की सोसाइटी पैकेट बनाकर भी बेच रही है। किसान 100 रुपये किलो तक लाभ कमा रहे है। दक्षिण भारत की कंपनियां भी ब्लैक राइस के लिए संपर्क कर रही हैं। बड़े शहरों में यह चावल 400 रुपये किलोग्राम तक बिक रहा है। 

स्वस्थ शरीर व शुगर पेशेंट के लिए गुणकारी काला चावल 

कार्बोहाइड्रेट से मुक्त इस चावल को शुगर पीड़ित भी खा सकते हैं। शोध में स्पष्ट हो चुका कि हृदय के लिए भी फायदेमंद है तथा कोलेस्ट्राल के स्तर को नियंत्रित करता है। भरपूर मात्रा में फाइबर होने की वजह से अपच की समस्या को भी दूर करने में सहायक है। एंटी ऑक्सीडेंट तत्व की वजह से आंख के लिए भी फायदेमंद है।

ऑनलाइन स्टोर फ्लिपकार्ट पर भी डिमांड

इस गुणकारी चावल की डिमांड महानगरों में अच्छी खासी है। स्थानीय बाजार में यह चावल भले ही 150 से 200 रुपये प्रति किग्रा बिक रहा, लेकिन फ्लिपकार्ट पर ऑनलाइन 399 रुपये प्रति किलो मूल्य है।

ब्लैक राइस लेने वाले किसानों को विभाग की तरफ से सहयोग किया जा रहा। आने वाले समय में व्यावसायिक लाभ के लिए किसानों को और अधिक प्रेरित किया जाएगा – एमजी श्यामकुंवर, सहायक उप संचालक, कृषि।

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