रायपुर। छत्तीसगढ़ में न केवल प्रभु राम की माता कौशल्या का जन्म हुआ, रामायण के माध्यम से रामकथा को दुनिया के सामने लाने वाले महर्षि बाल्मिकी ने भी इसी भूमि पर आश्रम का निर्माण कर साधना की। प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार ने कौशल्या के जन्म-स्थल चंदखुरी की तरह तुरतुरिया के बाल्मिकी आश्रम को भी पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकसित करने के लिए कार्य की रूप-रेखा तैयार कर ली है। इसी तरह रामकथा से संबंधित एक और महत्वपूर्ण स्थल शिवरीनारायण के विकास के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। शिवरीनारायण वही स्थान है जहां माता शबरी ने प्रभु राम को जूठे बेर खिलाए थे।
महानदी पर बनेगा वाटर फ्रंट
बलौदाबाजार जिले के तुरतुरिया में बाल्मिकी आश्रम तथा उसके आसपास का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। यह प्राकृतिक दृश्यों से भरा एक मनोरम स्थान है, जो पहाडिय़ों से घिरा हुआ है। यह बारनवापारा अभयारण्य से लगा हुआ है। यहां बालमदेही नदी और नारायणपुर के निकट बहने वाली महानदी पर वाटर फ्रंट विकसित किया जाएगा। इन स्थानों पर कॉटेज भी बनाए जाएंगे। तुरतुरिया के ही नजदीक स्थित एक हजार साल पुराने शिव मंदिर को भी पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। भगवान राम ने अपने वनवासकाल के दौरान कुछ समय तुरतुरिया के जंगल में भी बिताए थे। ऐसी भी मान्यता है कि लव-कुश का जन्म इसी आश्रम में हुआ था। तुरतुरिया को ईको टुरिज्म स्पाट के रूप में विकसित करने की योजना है।
शिवरीनारायण में विराजते हैं भगवान जगन्नाथ
तुरतुरिया की ही तरह शिवरीनारायण भी एक सुंदर जगह है। जांजगीर-चांपा जिले में महानदी, जोंक और शिवनाथ नदियों के संगम पर स्थित धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का यह स्थान रामकथा से संबंधित होने के साथ-साथ भगवान जगन्नाथ से भी संबंधित है। मान्यताओं के अनुसार यह शहर चारों युगों में विद्यमान रहा, और अलग-अलग नामों से जाना गया। यहीं से भगवान जगन्नाथ का विग्रह ओडिशा के पुरी स्थित मंदिर में ले जाकर स्थापित किया गया। हर साल माघ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ शिवरीनारायण में विराजते हैं। इस स्थान को गुप्त-तीर्थ और छत्तीसगढ़ के जगन्नाथ-पुरी के नाम से भी जाना जाता है।