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पृथ्वी की ओर मुड़ सकता है खतरनाक सनस्पॉट, जानिये दुनिया पर क्या हो सकता है इसका असर

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Sunspot : कोरोना वायरस महामारी, एस्‍टेरॉयड, बाढ़, भूकंप, चक्रवात जैसी आपदाओं ने वर्ष 2020 को बहुत खतरनाक बना दिया है। इस साल इंसान के लिए परेशानियां खत्‍म होती नज़र नहीं आ रही हैं। दुनिया भर में लोग सभी परेशानियों को खत्म करने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं ताकि मानवता अपना सामान्य जीवन फिर से शुरू कर सके। हालांकि, 2020 का सबसे खराब समय शायद अभी पूरा नहीं हुआ है। नई खबर यह है कि वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने एक बड़े पैमाने पर सनस्पॉट की खोज की है जो जल्द ही पृथ्वी की ओर मुड़ जाएगा और इसके परिणामस्वरूप बड़ा नुकसान हो सकता है।

Spaceweather.com की एक रिपोर्ट के अनुसार, sunspot AR2770 के फैलने और सीधे पृथ्‍वी की ओर मुड़ने की संभावनाएं हैं। इसके पृथ्‍वी की तरफ आने का मतलब है यहां महत्‍वपूर्ण कनेक्टिविटी का ठप हो जाना, जैसे बिजली, मोबाइल नेटवर्क आदि। यदि यह सनस्पॉट व्यास में 50,000 किलोमीटर तक बढ़ता है, तो यह सौर flares में बदल जाएगा जिससे संचार माध्‍यमों को नुकसान हो सकता है। यह पॉवर ग्रिड, सैटेलाइट, रेडियो संचार, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) को प्रभावित कर सकता है। सबसे पहले यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका (USA) में फ्लोरिडा के ट्रेंटन के एक खगोलविद मार्टिन वाइज ने पता लगाया था। राष्ट्रीय सौर और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) ने कहा कि इसके परिणामस्‍वरूप एक शक्तिशाती सौर तूफान “अंतरिक्ष में बिजली की धाराओं के उतार-चढ़ाव और पृथ्वी के अलग-अलग चुंबकीय क्षेत्र में फंसे हुए प्रोटॉन और ऊर्जा को प्रभावित करेगा। अधिक और विस्‍तृत जानकारी के लिए NASA की आधिकारिक वेबसाइट पर यहां Click करे।

क्या होता है सनस्‍पॉट

शोधकर्ताओं के अनुसार सनस्पॉट सूर्य पर बने डार्क एरिया हैं जो आसपास के क्षेत्रों की तुलना में धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। सनस्पॉट में सूर्य की सतह के पार जाते समय फैल जाने की क्षमता होती है। इससे इसके चुंबकीय क्षेत्रों में अनियमितता भी सामने आ सकती है। ये सनस्पॉट मध्‍यम से तेज गति से यात्रा कर सकते हैं और इन्हें ‘सौर गतिविधि’ के रूप में भी जाना जाता है।

सोलर फ्लेयर क्या है?

फ्लेयर्स हमारे सौर मंडल की सबसे बड़ी विस्फोटक घटनाएँ हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, सौर ज्वालाएं सूर्य पर बढ़ी हुई वह अचानक चमक होती हैं जो चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन के कारण पैदा होती है। इससे एक बड़ा विस्फोट हो सकता है। ये फ्लेअर सौर वायुमंडल की सभी परतों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इनके तीन प्रकार होते हैं-फोटोफेयर, क्रोमोस्फीयर, और कोरोना। शोधकर्ताओं का कहना है कि सोलर फ्लेयर के विस्फोट से एक ट्रिलियन ’लिटिल बॉय’ परमाणु बम तक की ऊर्जा पैदा हो सकती है। इस नाम का खतरनाक परमाणु बम 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा गिराया गया था।

मार्च 2020 में सूर्य आया था हरकत में

34 दिन शांत रहने के बाद मार्च 2020 में सूरज हरकत में आया था जब इसकी सतह पर एक छोटा सा सन स्पॉट सूर्य में उभरा है। हालांकि उस समय इस सन स्पॉट से सौर प्रज्‍वाल (सोलर फ्लेयर) होने की कोई संभावना नहीं है। ने बताया कि नया सन स्पॉट सूर्य के दक्षिणी गोलार्ध में उभरा है, जो बहुत छोटा है। यह सन स्पॉट आने वाले दिनों में फैलेगा या फिर समाप्त हो जाएगा, फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पर नजर रखे हुए हैं।

11 वर्ष का होता है सोलर साइकिल सत्र

इस समय सूर्य 25वें सोलर साइकिल से गुजर रहा है। इसका सोलर साइकिल सत्र गत वर्ष शुरू हो चुका है। हर सत्र 11 साल का होता है। इस सत्र को शुरू हुए कई महीने बीत जाने के बावजूद सूर्य शांत ही बना हुआ है। इस बीच कुछ छोटे आकार के सन स्पॉट देखे गए। इस सोलर साइकिल में सन स्पॉट उभरने की गति बहुत धीमी नजर आ रही है। उम्मीद है कि जैसे-जैसे यह सत्र आगे बढ़ेगा, सन स्पॉट्स की संख्या भी बढऩी शुरू हो जाएगी। यह नया सत्र 2030 तक चलेगा। रविवार को सूर्य के दक्षिणी गोलार्ध में यह सन स्पॉट उभरा है। जिस पर एरीज के वैज्ञानिक नजर रखे हुए हैं।

इसलिए स्‍पेस एजेंसियां 24 घंटे रखती हैं निगाह

सन स्पॉट्स का बनना सूर्य की सक्रियता को दर्शाता है। जिनसे सोलर फ्लेयर बनती है और चुंबकीय तूफान उठते हैं। यह तूफान पृथ्वी तक पहुंचते हैं। धरती के वातावरण में फैले बेशकीमती सैटेलाइट्स के लिए सोलर फ्लेयर बेहद खतरनाक है। उत्‍तराखंड की आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के पूर्व निदेशक व वरिष्ठ सौर वैज्ञानिक डॉ. वहाबउद्दीन के अनुसार सोलर फ्लेयर से निकलने वाले उच्च ऊर्जावान कण सैटेलाइट्स को डैमेज कर सकते हैं। जिनसे संचार सेवाएं बाधित होती हैं। जिस कारण दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां इन पर 24 घंटे निगाह रखते हैं। इनके अलावा इलेक्ट्रानिक व विद्युत उपकरणों के लिए भी यह बड़ा खतरा है।

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