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40 मिनट के भीतर कोरोना की हो सकेगी किफायती और सटीक जांच, 50 रुपये से भी कम है कीमत

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बीजिंग। चीन के शोधकर्ताओं ने कोरोना का पता लगाने के लिए एक नई और किफायती प्रणाली विकसित की है। इसके माध्यम से ना केवल सटीक परिणाम मिल सकेंगे बल्कि इसके लिए किसी विशेष उपकरण की भी आवश्यकता नहीं होगी। चीन के जूझोउ मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक उन्होंने कोरोना जांच के लिए क्रिस्पर (CRISPR) आधारित एक आइसोथर्मल विकसित किया है।

बता दें कि क्रिस्पर तकनीक एक टूल है, जिसके जरिये कोशिका में पहुंचा जा सकता है। डीएनए में मौजूद खराब जीन की पहचान कर उसे निष्क्रिय किया जा सकता है और उसे काटकर हटाया जा सकता है। पीएलओएस पैथोजेंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना जांच की बढ़ती मांग ने सभी देशों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है।

अभी तक जांच की रिपोर्ट आने में लगता था समय

फिलहाल कोरोना की जांच के लिए मेटाजिनोमिक नेक्स्ट जेनरेशन सिक्वेंसिंग (MNGS) और रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पीसीआर (RT-PCR) मॉडल का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इन दोनों प्रणाली की भी अपनी सीमाएं हैं। उदाहरण के लिए सिक्वेंसिंग विधि जहां बहुत महंगी है और लगभग एक दिन बाद जांच का परिणाम मिलता है वहीं आरटी-पीसीआर के लिए विशेष मशीनों की आवश्यकता होती है। साथ ही इसकी बड़े पैमाने पर उपलब्धता भी संभव नहीं है।

40 मिनट के भीतर सटीक परिणाम

शोधकर्ताओं के मुताबिक तेज और सटीक जांच देने वाले उपकरणों की कमी के चलते वायरल खतरे से निपटने में डॉक्टरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जीन एडिटिंग में इस्तेमाल होने वाली क्रिस्पर प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए कोरोना जांच की एक नई विधि विकसित की है। क्रिस्पर-कोविड नाम की इस प्रणाली से 40 मिनट के भीतर सटीक परिणाम मिल जाता है। अगर इस तकनीक का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाए तो एक कोरोना टेस्ट की कीमत लगभग 70 सेंट (लगभग पचास रुपये) से भी कम हो सकती है। 

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