जगदलपुर। Education: फीस निर्धारण से लेकर इसे तय करने वाली समितियों में जिला प्रशासन के दखल के साथ राज्य सरकार ने अशासकीय स्कूलों पर शिकंजा कस दिया है। अब कोई भी अशासकीय स्कूल एक सत्र में अधिकतम आठ फीसद फीस ही बढ़ा सकेंगे। राज्यपाल की अनुमति के बाद 28 सितंबर को छत्तीसगढ़ राजपत्र में छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020 का प्रकाशन कर दिया गया है। राज्य बनने के 20 वें साल में सरकार ने फीस नियंत्रित करने का कानून बनाया है।
राज्य में पहली बार अशासकीय विद्यालयों की फीस निर्धारण प्रक्रिया में विद्यालय प्रबंधन एवं अभिभावकों के आपसी परामर्श को वैधानिक आधार प्रदान किया गया है। साथ ही, फीस निर्धारण की प्रक्रिया के लिए प्रावधान तय किए गए हैं। राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से यह कानून समस्त राज्य में लागू हो गया है। राजपत्र में स्कूल से राज्य स्तर तक गठित होने वाली समितियों, फीस निर्धारण और शास्तियों का विस्तार से उल्लेख किया गया है।
इसके अनुसार अशासकीय विद्यालय, जिला व राज्य स्तर पर फीस समितियों का गठन किया जाएगा। फीस निर्धारण के लिए स्कूल व जिला स्तर पर गठित होने वाली समितियों में कलक्टर के द्वारा नामांकित सदस्य होंगे। इनका कार्यकाल दो वर्ष होगा, लेकिन कार्यकाल समाप्त होने से पहले भी कलक्टर उन्हें किसी भी समय बिना कारण बताए हटा सकेंगे। राज्य फीस समिति अशासकीय विद्यालयों द्वारा ली जाने वाली फीस के संबंध में नीति निर्धारण कर सकेगी और अन्य समितियां इसके अनुरूप फीस तय कर सकेंगी। राज्य फीस समिति के निर्देश सभी समितियों के लिए बंधनकारी होंगे। राज्य सरकार को इस अधिनियम से संबंधित अन्य नियम बनाने का अधिकार भी दिया गया है। इन्हें विधानसभा के पटल पर भी रखा जाएगा।
फीस की भी व्याख्या
अधिनियम में फीस की भी व्याख्या की गई है। इसके अनुसार विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों अथवा उनके अभिभावकों से लिया जाने वाला कोई भी शुल्क, चाहे उसे किसी भी नाम से जाना जाता हो, फीस कहा जाएगा। यहां उल्लेखनीय है कि अशासकीय स्कूल प्रवेश, ट्यूशन, कंप्यूटर, स्पोट्र्स, डिजिटल क्लास, डेवलपमेंट, परीक्षा आदि कई मदों के नाम पर फीस वसूल करते हैं। एक्ट के द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि सभी के लिए एक नाम फीस होगा, जिसमें एक सत्र में आठ फीसद से अधिक की बढ़ोत्तरी नहीं होगी।
कोरोना काल में फीस बढ़ाने का विरोध
कोरोना काल में अब तक राज्य के सभी स्कूल बंद हैं। जुलाई से अभिभावकों व छात्रों के मोबाइल पर प्राइवेट स्कूलों के मैसेज लगातार आ रहे हैं। इनमें उनसे फीस जमा करने कहा जा रहा है। राज्य में कई जगह अभिभावक कोरोना काल में फीस बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं। वहीं अशासकीय स्कूल कर्मचारियों के वेतन समेत अन्य खर्च गिनाते फीस को जरूरी ठहरा रहे हैं। जुलाई में राज्य उच्च न्यायालय ने अशासकीय स्कूलों को ट्यूशन फीस लेने का आदेश दिया है। बावजूद फीस को लेकर खींचातानी जारी है।
आठ फीसद से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकेंगे
प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीस बढ़ोत्तरी पर नकेल कसने राज्य सरकार ने कानून बना दिया है। स्कूल से लेकर जिला स्तर तक फीस निर्धारण करने वाली समितियों में कलक्टर के नामांकित सदस्य होंगे। स्कूल स्तर पर विद्यालय फीस समिति होगी, जो अशासकीय विद्यालय के प्रबंधन के प्रस्ताव तथा अभिभावक संघ के अभ्यावेदनों पर विचार कर विद्यालय के लेखों एवं अभिलेखों का परीक्षण करने के पश्चात विद्यालय की फीस का निर्धारण करेगी। फीस निर्धारण करते समय अशासकीय विद्यालय के प्रबंधन द्वारा विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं को भी देखा जाएगा।
यह अधिनियम 28 सितंबर को पूरे राज्य में लागू हो गया है। इसमें कहा गया है कि इसके लागू होने के एक माह के भीतर अशासकीय विद्यालयों के प्रबंधन उनके द्वारा ली जाने वाली फीस के अनुमोदन के लिए विद्यालय फीस समिति के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे। समिति इस प्रस्ताव पर निर्णय एक माह के भीतर लेगी। विद्यालय फीस समिति किसी विद्यालय की वर्तमान फीस में अधिकतम आठ फीसद तक की वृद्धि का अनुमोदन कर सकेगी। इससे अधिक वृद्धि किया जाना आवश्यक हो तो वह अपनी अनुशंसा के साथ उसे जिला फीस समिति को अग्रेषित करेगी जो तीन माह के भीतर फीस निर्धारण का फैसला करेगी। अशासकीय विद्यालय प्रबंधन सक्षम समिति द्वारा निर्धारित की गई फीस से अधिक नहीं ले सकेंगे।
फीस निर्धारण में होगी अभिभावकों की दखल
सक्षम समिति के द्वारा फीस का अनुमोदन हो जाने के बाद यदि किसी अशासकीय विद्यालय का प्रबंधन फीस बढ़ाना चाहता है तो उसे शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के कम से कम छह माह पूर्व सुसंगत अभिलेखों के साथ विद्यालय फीस समिति के समक्ष फीस बढ़ाने का प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा। समिति यथासंभव तीन माह के भीतर फीस बढ़ाने के प्रस्ताव पर अपना निर्णय देगी।
अभिभावक संघ फीस निर्धारण के संबंध में आवेदन स्कूल की समिति के समक्ष प्रस्तुत कर सकेंगे। समिति फीस निर्धारण करते समय ऐसे अभ्यावेदनों पर भी विचार करेगी। समिति द्वारा निर्धारित फीस की सूचना स्कूल के नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाएगी। गठित समितियां फीस निर्धारण के प्रयोजन से संबंधित विद्यालयों से लेखा एवं अन्य अभिलेख मंगा सकेंगी। समितियां फीस निर्धारण के प्रयोजन से विद्यालय प्रबंधन एवं अभिभावकों की भी सुनवाई कर सकेंगी।
डीइओ की शिकायत पर ही होगा न्यायालय का दखल
विद्यालय प्रबंधन समिति के सभी सदस्य अधिनियम का पालन करने के लिए जिम्मेदार बनाए गए हैं। इस अधिनियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन करने की स्थिति में पहली बार 50 हजार तो दूसरी बार एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इससे संबंधित प्रकरणों का विचारण सक्षम न्यायालय द्वारा किया जाएगा। विचारण, अपील इत्यादि के संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के प्रावधान लागू होंगे। परंतु कोई भी न्यायालय इस धारा के अंतर्गत संज्ञान केवल जिला शिक्षा अधिकारी की लिखित शिकायत पर ही लेगा अन्यथा नहीं।
जिला फीस समिति का फैसला अंतिम
विद्यालय प्रबंधन अथवा अभिभावक संघ, विद्यालय समिति के द्वारा लिए गए निर्णय के विरूद्ध 30 दिन के भीतर जिला फीस समिति के समक्ष अपील कर सकेंगे। जिला समिति तीन माह के भीतर अपील पर निर्णय करेगी। समिति द्वारा अपील में लिया गया निर्णय अंतिम होगा।
तीन स्तर पर होंगी फीस निर्धारण समितियां
– विद्यालय फीस समिति :
विद्यालय प्रबंधन समिति का प्रमुख इसका अध्यक्ष होगा। संबंधित अशासकीय स्कूल के प्राचार्य इसके सदस्य सचिव बनाए गए हैं। कलक्टर के द्वारा नोडल अधिकारी के अलावा संबंधित विद्यालय के प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, उच्च व उच्चतर कक्षाओं के एक-एक अभिभावक को सदस्य के रूप में नामांकित किया जाएगा। संबंधित अशासकीय स्कूल के प्राचार्य भी इसी प्रकार चार अभिभावक सदस्यों को नामांकित कर सकेंगे।
– जिला फीस समिति :
इसके अध्यक्ष कलक्टर होंगे। जिला शिक्षा अधिकारी इस समिति के सदस्य सचिव बनाए गए हैं। कलक्टर के द्वारा जिला स्तर पर सात अन्य सदस्य नामांकित किए जाएंगे जिनमें दो-दो सदस्य अशासकीय विद्यालयों के अभिभावक व अशासकीय स्कूलों के प्रबंधन से संबंधित होंगे। एक शिक्षाविद, एक कानूनविद व लेखाधिकारी या कोषालय अधिकारी भी कलक्टर के द्वारा नामांकित किए जाएंगे।
– राज्य फीस समिति :
इसमें छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री इसके अध्यक्ष होंगे जबकि विभाग के सचिव को सदस्य सचिव बनाया गया है। इनके अलावा, आयुक्त/संचालक लोक शिक्षण तथा वित्त नियंत्रक / संयुक्त संचालक वित्त संचालनालय सदस्य होंगे।