इस बार की नवरात्रि बहुत ही खास है। 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हो रहा है 25 अक्टूबर तक रहेगा और 26 अक्टूबर को विजयादशमी का उत्सव मनाया जाएगा। इस बार की नवरात्रि क्यों खास है जानिए 10 अनजाने राज।
1. हर वर्ष श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के बाद नवरात्रि अश्विन माह में ही प्रारंभ होती है परंतु इस बार अश्विन मास में मलमास लगने के कारण 1 महीने के अंतर पर नवरात्रि आरंभ होगी। ऐसा संयोग करीब 165 साल बाद होने जा रहा है। श्राद्ध पक्ष 2 सितंबर से प्रारंभ हुए थे जो 17 सितंबर 2020 को समाप्त हुए। नियम अनुसार 18 सितंबर से नवरात्रि का प्रारंभ होना था परंतु इस दिन से पुरुषोत्तम मास प्रारंभ हो चुका है।
2. आश्विन महीने में अधिक मास, मलमास या पुरुषोत्तम मास 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक चलेगा। यही कारण है कि इस बार आश्विन माह की शारदीय नरात्रि का प्रारंभ 17 अक्टूबर से होगा और समाप्ति 25 अक्टूबर को होगी। 26 अक्टूबर को दशहरा होगा। इसके 20 दिन बाद अर्थात 14 नवंबर 2020 को दीपावली रहेगी।
3. इस बार की नवरात्रि विशेष फलदायी है क्योंकि तीन वर्ष बार अधिकमास के होने के बाद नवरात्रि का प्रारंभ होने से विशेष दान-पुण्य, उपवास और साधना से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। करोना काल में घर में रहकर भोजन का यदि खूब लुफ्त उठा लिया है तो यही अवसर है उपवास से लाभ प्राप्त करने का।
4. विद्वानों के अनुसार 17, 19, 23 और 24 अक्टूबर 2020 को विशेष साधना करके हर तरह की मनोकामना पूर्ण की जा सकती है। इसके अलावा 18 और 24 अक्टूबर को सिद्धि महायोग बन रहा है।
5. नवरात्रि को इन दिनों में मन्त्रों को सिद्ध किया जा सकता है क्योंकि सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है।
6. साधकों को छोड़कर सामान्यजनों के लिए यह समृद्धि देने वाले नौ दिन हैं। उपवास रखकर अच्छे से माता की आराधना करना चाहिए।
7. खास बात यह है कि रिश्तों को सुधारने के लिए 18 और 19 अक्टूबर को प्रीति योग में मां को शहद अर्पित करके किसी जरूरतमंद को दान कर दें।
8. नवरात्रि के ही दौरान 21 अक्टूबर को ललिता पंचमी का दिन रहेगा जो समृद्धि के लिए उपयोगी है अत: इस दिन माता की अर्चना करें और ललिता सहस्त्रनाम का पाठ करें।
9. रामनवमी के दिन दुर्गा माता की नवमी की पूजा के साथ ही रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करके हर तरह तरह के शोक और रोग से बचा जा सकता है।
10. देवी भागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा का आगमन आने वाले भविष्य की घटनाओं के बारे में हमें संकेत देता है और चेताता है। माना जाता है कि अगर नवरात्रि की शुरुआत सोमवार या रविवार को हो रही है तो इसका मतलब है कि वो हाथी पर आएंगी, शनिवार या फिर मंगलवार को है तो मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ होता है तो माता डोली पर आती हैं और वहीं बुधवार के दिन मां नाव को अपनी सवारी बनाती हैं।
इस बार माता भैंसे से विदा होकर घोड़े पर सवार होकर आ रही है। मान्यता अनुसार घोड़े पर आने से पड़ोसी देशों से युद्ध, सत्ता में उथल-पुथल और साथ ही रोग और शोक फैलता है। इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की अराधना करें, व्रत करें ताकि मां आपके सारे दु:ख और संकट को दूर करके मनोकामना पूर्ण करेंगे।