राजनांदगांव(दावा)। रविवार 21 मार्च से 8 दिनों के लिए होलाष्टक लग जाएगा। इस दौरान 8 दिनों तक शुभ एवं मांगलिक कार्यों पर विराम लगा रहेगा। ज्ञात हो कि 29 मार्च रविवार को होली का त्यौहार मनाया जाएगा। हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर किये जाने वाले होलिका दहन के सप्ताह भर पूर्व होलाष्टक लग जाता है। होलाष्टक के इन आठ दिनों को अशुभ माने जाने के कारण शुभ एवं मांगलिक कार्यों की मनाही रहती है।
ज्योतिषाचार्य पं. सरोज द्विवेदी ने बताया कि प्राचीन ऋषि-मुनियों ज्ञानी-गुणीजनों ने फाल्गुन मास के इस मादकता भरे माहौल को देखते हुए शुभ कार्यों में प्रतिबंध लगाया है ताकि होली की मादकता भरे बयार में बहक कर लोग कही अवांछनीय हरकत न कर बैठे। बहरहाल होलाष्टक के चलते आठ दिनों तक शुभ एवं मांगलिक कार्यबंद रहेंगे। इस बीच होली की तैयारी जारी रहेगी। इस बार फागुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन होलिका दहन के समय भद्रा की छाया नहीं रहेगी। 28 मार्च रविवार को भद्रा दोपहर 1 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। इस दिन सर्वाथ सिद्धि योग व अमृत सिद्धि योग भी है तथा रविवार शाम 6 बजे तक उत्तरा भाद्र पद नक्षत्र और इसके बाद हस्त नक्षत्र रहेगा। होलिका दहन के दिन रविवार को ये नक्षत्र होने से मित्र मानस नाम के शुभ योग भी बन रहे है।
होने लगी होली की तैयारी
शहर सहित गांव-देहात के चौक चौराहों व विशेष स्थलों में होलिका दहन के लिए अरंण्ड का वृक्ष गाड कर उसके इर्द गिर्द लकडिय़ां एवं झाड़-झंखाड़ के सुख झुरमुट रचने का कार्य प्रारंभ हो गया है। बसंत पंचमी से प्रारंभ हुए इस कार्य में लोग अपने घरों के अनुपयोगी लकड़ी के सामान भी होलिका दहन के लिए देने शुरू कर दिये है, जिससे होलिका दहन स्थल पर लकडिय़ों का अंबार लग गया है। कुछ-कुछ स्थानों पर राक्षसों के डरावने मुखौटे भी लगा दिये। छोटे छोटे बच्चे घरों के बाहर पड़े लकड़ी के अनुपयोगी सामान व कटे पेड़ों के ठूंठ शाखाएं आदि को लाकर रचने शुरू कर दिये है। बच्चों में अभी से होली की मस्ती देखने में आ रहा है। कुछ-कुछ स्थानों पर नगाड़ो की थाप भी सुनाई देने लगी है। फाग गीत के सरा र रा भी सुनाई देने लगे हैं। जैसे-जैसे होली का पर्व नजदीक आते जा रहा है, लोगों के दिलों दिमाग में होली का सुरूर धीरे-धीरे छाते जा रहा है। बाजार में रंग-गुलाल की बिक्री अब शीघ्र ही शुरू हो जाएगी। हालांकि कोरोना के भय के कारण व्यापक रूप से नगाड़ा की गूंज सुनाई नहीं दे रही, फाग गीत के तान सुनाई नहीं दे रहे, लेकिन चार-छह दिन बाद होली का सुरूर लोगों में दिखाई देने लगेगा। नगाड़ों की थाप के बीच मन डोल रे मांघ फगुनवा के टेर सुनाई देने लगेंगे।
होलाष्टक में शुभकार्यों की मनाही
मान्यता है कि होलाष्टक के दिनों में शादी संगाई नये घर में प्रवेश व अन्य मांगलिक नहीं किये जाने चाहिए। यहां तक कि जमीन मकान या किसी भी प्रकार बड़ी खरीदारी भी नहीं किये जाने चाहिए, क्योंकि होली से पहले के यह 8 दिनों का समय अशुभ फल देने वाला होता है। होलिका दहन से पूर्व असुरराज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए आठ दिनों तक कई प्रकार की यातनाएं दी थी। प्रहलाद को दी गई इन यातनाओं की वजह से होलाष्टक को अशुभ माना जाता है। अंत: में असुर राज द्वारा भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को अपनी बहन के हाथों जलाकर मारने के लिए सौंप दिया। भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद तो बच गया, लेकिन होलिका जल गई। उस दिन से बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व होली धूम धाम से मनाया जाता है।