राजनांदगांव(दावा)। डोंगरगांव ब्लाक के ग्राम अर्जुनी में सोमवार को तालाब गहरीकरण के दौरान लाल पत्थर से बना हुआ सिलबट्टा मिलने से लोगों में कौतूहल देखा गया। सिलबट्टा को देखने आसपास के ग्रामीणों की भीड़ भी देखी गई। ग्रामीणों द्वारा इसे धार्मिक महत्व का मानते हुए पूजा-अर्चना कर तालाब के पास ही एक किनारे में रखवाया गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत अर्जुनी में मनरेगा के तहत गांव खार से ग्राम पैरी की ओर पश्चिम दिशा में स्थित एक पुराना तालाब का गहरीकरण का कार्य कराया जा रहा है। इसके कार्य हेतु मनरेगा से नौ लाख रूपए की स्वीकृति मिली है। तालाग गहरीकरण में करीब दो सौ मजदूर काम कर रहे हैं, जिनमें अधिकांश महिला मजदूर हैं। सोमवार को तालाब की खुदाई के दौरान पुराने मेड़ की भी खुदाई की गई, तभी वहां खुदाई के दौरान एक बड़ा सिलबट्टा (सील-लोढ़ा) निकला, जिसे देख लोगों में आश्चर्य मिश्रित प्रतिक्रिया रही। कुछ लोगों ने इसे आदिम युग का बताया तो कुछ लोगों ने इसे धार्मिक महत्व का बताते रहे। सिलबट्टा मिलने की बात गांव सहित आसपास में तेजी से फैली, फिर उसे देखने के लिए लोगों की मौके पर भीड़ जमा हो गई। ग्रामीणों के बीच सिलबट्टा को भगवान शंकर के शिवलिंग से भी जोडक़र तमाम तरह की चर्चा होती रही। आखिर में सिलबट्टा की विधिवत पूजा-अर्चना की गई और तालाब पार के एक किनारे में रखवा दिया गया। सिलबट्टा निकलने के दौरान महिला मजदूर मीना बाई, सवाना बाई, इंद्रावती बाई,अंजनी बाई, फूलमत बाई खुदाई कर रही थीं।
35 साल पहले मिले थे चांदी के पुराने सिक्के
सूत्रों के अनुसार अर्जुनी में मिला सिलबट्टा लाल पत्थर से बना हुआ है। अमूमन इस तरह के लाल पत्थर का उपयोग मुगल काल में बने किला में उपयोग में लाए गए हैं। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि अर्जुनी में मिला सिलबट्टा देवस्थान में पूजन हेतु प्रयोग में लाने हेतु रखा रहा होगा, जिसे चंदन घिसने के लिए प्रयोग में लाया जाता रहा होगा।
बताया जाता है कि करीब 35 वर्ष पहले वर्ष 1987 में नाली खुदाई के दौरान चांदी के 64 सिक्के मिले थे। ये सिक्के एक-एक ग्राम वजन के थे, जो नाली खुदाई में लगे मजदूरों को मिले थे। उनमें से 36 सिक्के कुदाली की चोंट से लगने टूट गए थे, जबकि 28 सिक्के साबूत थे। उन सिक्कों में चंद्रमा के चिन्ह थे, जिसे मोहन जोदड़ा काल का बताया जाता है। आज लाल पत्थर का सिलबट्टा भी उसी क्षेत्र के आसपास मिला है। हालांकि उन सिक्कों को अर्जुनी ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच रहे हुकुमचंद बैद द्वारा डोंगरगांव थाने में जमा करा दिया गया था। बाद में उन सिक्कों को सरकारी खजाने में जमा करा दिया गया था।