राजनांदगांव(दावा)। डोंगरगांव बीटीआई में प्रभारी प्राचार्य एवं मद प्रभारी के रूप में लाखों रूपए का गबन करने के मामले में निलंबित व्याख्याता जेपी यदु की मुश्किलें अब और बढऩे वाली हैं। दरअसल राज्य शासन ने उन्हें आरोप पत्र जारी कर पूछा है कि आप किस रूप में पूरे मामले की सुनवाई चाहते हैं व्यक्तिगत, मौखिक अथवा गवाह के साथ? साथ ही १५ दिनों के भीतर जवाब पत्र प्रस्तुत करने कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि डोंगरगांव बीटीआई में पदस्थ रहे निलंबित व्याख्याता जेपी यदु द्वारा प्रभारी प्राचार्य एवं मद प्रभारी रहते हुए की गई गड़बडिय़ों को लेकर दैनिक दावा लगातार समाचार का प्रकाशन कर शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते आ रहा है। आखिरकार इस मामले की विभागीय जांच कराई गई, जिसमें परीक्षा निधि में ३७ हजार ६५० रूपए और कृषि निधि में तीन लाख ८३ हजार ३९२ रूपए कुल राशि चार लाख २१ हजार ४२ रूपए का गबन किए जाने की पुष्टि हुई। शासकीय सेवा में रहते हुए गबन के इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन ने श्री यदु को गत फरवरी माह में निलंबित कर दिया था, किंतु मामले में आगे की कार्यवाही लंबित थी। इस मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी एच.आर सोम द्वारा जांच के लिए गत सितंबर माह में तीन सदस्यीय जांच दल का गठन कर सात दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी गई थी, किंतु पूरा मामला पेचीदा होने के चलते जांच दल को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी और करीब तीन माह में जांच रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें व्याख्याता जेपी यदु द्वारा शासकीय राशि चार लाख २१ हजार ४२ रूपए का गबन किए जाने की पुष्टि हुई।
फर्जी बिल व्हाउचर से किया भ्रष्टाचार
विभागीय सूत्रों के अनुसार डोंगरगांव बीटीआई में व्याख्याता एवं मद प्रभारी रहे जेपी यदु द्वारा फर्जी बिल व्हाउचर के माध्यम से भ्रष्टाचार को अंजाम देने की शिकायत हुई थी। शिकायतकर्ता द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर शिकायती पत्र में जानकारी दी गई थी कि बीटीआई में लेखा परीक्षण (आडिट) सितंबर 2001 से नहीं हो पाया था। लेखा परीक्षण विभागीय लेखा परीक्षक दल द्वारा लेखा आवृत्ति अवधि सितंबर 2001 से मार्च 2019 तक किए जाने पर पाया गया कि संस्था में वर्ष 2000 से 2003 तक की कैशबुक परीक्षण हेतु प्रस्तुत नहीं की गई, जिसके बारे में आडिट दल को यह बताया गया कि उक्त अवधि के दस्तावेजों को दीमक खा गई, इसलिए इस अवधि का कोई लेखा-जोखा, व्हाउचर्स का मिलान नहीं किया जा सका। दस्तावेजी प्रमाण के अनुसार संस्था में छात्रावास निधि की पासबुक के अनुसार वर्ष 1986 से संधारण किया जा रहा है। पासबुक में मार्च 2019 की स्थिति में 48 हजार 733 रूपए शेष अंकित है, किंतु लेखा परीक्षा में वर्ष 2005-06 के पूर्व का कोई रिकार्ड (कैशबुक व कोई भी प्रमाणक) प्रस्तुत नहीं किया गया और आडिट दल को बता दिया गया कि सब रिकार्ड को दीमक खा गई।
रिकार्ड को दीमक के चट करने का बहाना
इसके अलावा संस्था की सामुदायिक सेवा निधि में मार्च 2019 की स्थिति में आठ हजार 30 रूपए शेष है, किंतु आडिट के दौरान इस मद के किसी भी वर्ष के व्हाउचर पंजी उपलब्ध नहीं कराई गई और यह बताकर खुद को बचा लिया गया कि रिकार्ड को दीमक खा गई। इसी तरह विज्ञान निधि मद में मार्च 2019 की स्थिति में दो लाख 25 हजार 762 रूपए शेष है, किंतु इस मद की वर्ष 2007 के पूर्व की कैशबुक भी परीक्षण हेतु उपलब्ध नहीं कराई गई। परीक्षा निधि अंतर्गत प्रभारी अधिकारी जे.पी. यदु द्वारा सितंबर 2009 में 14 हजार 400 रूपए बतौर अग्रिम/ऋण प्राप्त किया जाना दर्शाया गया है, किंतु 11 वर्षों बाद भी उक्त राशि को संस्था में जमा नहीं किया गया है। जुलाई 2015 में पांच हजार रूपए बतौर अग्रिम/ऋण प्राप्त किया गया है, किंतु उस राशि को भी संस्था के खाते में जमा नहीं किया गया है। परीक्षा निधि में ३७ हजार ६५० रूपए और कृषि निधि तीन लाख ८३ हजार ३९२ रूपए की गड़बड़ी को लेकर शासकीय बुनियादी प्रशिक्षण संस्थान डोंगरगांव में पदस्थ व्याख्याता जेपी यदु की शिकायत जांच के बाद गत फरवरी में निलंबित कर दिया गया था।
जवाब देने 15 दिनों की मोहलत
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार संचालक लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर द्वारा श्री यदु के नाम से जारी पत्र में आरोप पत्रादि जारी करने की सूचना दी गई है। पत्र में कहा गया है कि आपके विरूद्ध अधिरोपित आरोप पत्र, आरोप पत्र का विवरण, अभिलेख सूची तथा साक्ष्य सूची भेजी जा रही है। उक्त आरोप के संबंध में आप अपना प्रतिवाद, आरोप पत्रादि प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत करें और अपने जवाब में यह भी बताएं कि क्या आप व्यक्तिगत सुनवाई चाहते हैं या मौखिक? यदि कोई गवाह हो तो उसका नाम पता प्रस्तुत करें। निर्धारित अवधि के भीतर प्रतिवाद प्राप्त नहीं होने पर यह मान लिया जाएगा कि आपको उक्त आरोप स्वीकार है तथा आपकों कोई जवाब पेश नहीं करना है। उसके बाद एकपक्षीय कार्यवाही की जाएगी, जिसके लिए स्वयं जिम्मेदार होंगे। पत्र के अनुसार श्री यदु पर आरोप है कि उनके द्वारा जांच प्रतिवेदन अनुसार परीक्षा निधि एवं कृषि निधि के व्यय में शासकीय दस्तावेजों में उपरिलेखन करना, प्राचार्य का फर्जी हस्ताक्षर करना, बनावटी दस्तावेज तैयार करना एवं भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं कर वित्तीय अनियमितता करना पाया गया है। आपका यह कृत्य गंभीर कदाचार की श्रेणी में आता है, जो छग सिविल सेवा आचरण नियम १९६५ के नियम ३ के विपरीत है।