नई दिल्ली। आज से करीब 539 साल पहले वर्ष 8 मार्च, 1582 के दिन विनाशकारी महातूफान आया था। उस समय इस सौर तूफान के चलते सूरज आग उगल रहा था और आसमान मानो धधक रहा था। चारों तरफ आग ही आग नजर आ रही थी। इस सदी में भी पृथ्वी पर महाविनाशकारी सौर तूफान का खतरा मंडराने लगा है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस सदी में भी सौर तूफान का खतरा मंडरा रहा है। इसकी बड़ी वजह सूरज की सतह पर गड़बड़ी होना माना जा रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस गड़बड़ी का धरती पर विनाशकारी असर हो सकता है।
…तो दुनिया को होगा भारी नुकसान : वैज्ञानिकों के मुताबिक 1582 में जो सौर तूफान आया था, वह तीन दिनों तक चला था और यह यूरोप से पूर्वी एशिया तक फैल गया था। माना जाता है कि 1582 जैसा तूफान हर सदी में आता है और यह एक सदी में एक या कभी-कभी दो बार भी देखने को मिलता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि ऐसा होता है तो इस दुनिया को भारी नुकसान हो सकता है।
अंधेरे में डूब जाएगी दुनिया : विशेषज्ञों का कहना है कि इस तूफान के चलते दुनिया में बिजली गुल हो सकती है। वर्ष 1989 में आए सौर तूफान की वजह से कनाडा के क्यूबेक शहर में 12 घंटे के लिए बिजली ठप हो गई थी। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है इस बार तूफान पिछली बार से ज्यादा भयावह हो सकता है। इस तूफान से अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे सैटेलाइट प्रभावित हो सकते हैं साथ ही संचार और जीपीएस प्रणाली भी ठप हो सकती है।
79 वर्षों में कभी भी : पिछली घटनाओं पर आधारित शोध में कहा गय है कि साल 1582 जैसे महातूफान सदी में एक बार आते हैं। अत: इस बात की प्रबल आशंका है कि 21वीं सदी में भी इस तरह का तूफान पृथ्वी से टकरा सकता है। आने वाले 79 वर्षों में कभी भी पृथ्वीवासियों को इस तरह से लपटों का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो 11 साल के चक्र में सूरज की गतिविधि कम और तेज होती है। सोलर चक्र 25 अभी पिछले साल ही शुरू हुआ है। अत: माना जा रहा है कि 2025 में सूरज अपने चरम पर होगा।