कोरोना की दूसरी लहर ने गुजरात में खतरनाक रूप ले लिया है। हालांकि इस वर्ष कोरोनावायरस से लड़ने के लिए हमारे पास वैक्सीन रूपी हथियार है और देशभर में वैक्सीनेशन जारी है। गुजरात की बात करें तो 1 अप्रैल से 45 वर्ष की आयु वाले लोगों को भी कोरोना का टीका लगाना शुरू हो गया है। दूसरी ओर, मृतकों की बढ़ती संख्या के चलते अंतिम संस्कार के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है।खास बात यह है कि पहले रोजाना राज्य में डेढ़ लाख लोगों को टीका लगाया जा रहा था, अब खास अभियान में इसका लक्ष्य बढ़ाकर तीन लाख लोगों को रोजाना टीका लगाना शुरू कर दिया है। इसके लिए गुजरात प्रशासन की तैयारी पूरी हो गई है। गुजरात सरकार का कहना है कि उसे केंद्र सरकार से पर्याप्त वैक्सीन मिल रही है।
डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने बताया कि केंद्र से 15 लाख वैक्सीन मिली हैं, जिसे कोल्ड स्टोरेज में रखा गया है। वहीं, वैक्सीनेशन सेंटर का कहना है कि उनके पास भी वैक्सीन की पर्याप्त मात्रा है। अहमदाबाद के असिस्टेंड हेल्थ ऑफिसर, डॉ. संकेत पटेल का कहना है कि उनके यहां एक वैक्सीन भी खराब नहीं होने दी जाती है, इसके लिए पूरी सावधानी रखी जाती है। अहमदाबाद स्थित टैगोर हॉल में वैक्सीनेशन सेंटर बनाया है, यहां एक दिन में अधिकतम तीन हजार लोगों को रोजाना वैक्सीन लगाया जा रहा है।
कोरोना मरीजों के आंकड़ों में अंतर : अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के मुताबित शहर में कोरोना के एक्टिव केस सिर्फ 1929 हैं, जबकि शहर के प्राइवेट अस्पतालों में 2530, शिविर कैंपस में 900, सिविस अस्पतालों में 200 मरीजों का इलाज जारी है। वहीं होम क्वारेंटाइन में 2000 मरीज इलाज ले रहे हैं। हाल-फिलहाल अहमदाबाद में इलाज करा रहे सभी तरह के कोरोना मरीजों की संख्या 5600 से अधिक है। लेकिन, अहमदाबाद नगर निगम की वेबसाइट पर सिर्फ 1929 केस ही दर्ज हैं।
अहमदाबाद में 75 परसेंट बेड फुल : शहर के निजी अस्पताल में कोरोना मरीज तेजी से भर्ती हो रहे हैं। इनमें 75 फीसदी बेड फुल हो चुके हैं। वर्तमान में करीब 100 प्राइवेट अस्पतालों में 3390 बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर रखे हैं। इन अस्पतालों में आईसीयू व वेंटिलेटर के साथ 284 में से 220 बेड फुल हैं। 1509 एचडीयू बेड आवंटित किए गए हैं, इनमें से 1187 पर मरीजों का इलाज चल रहा है।
राज्य के अन्य शहरों में बेड व इंजेक्शन की कमी : राजकोट में कोरोना मरीज बढ़ने से अस्पताल भरे हुए हैं। हाल की स्थिति में किसी भी प्राइवेट अस्पताल में बेड खाली नहीं हैं। यदि बेड मिल भी गया तो महंगे वाले इंजेक्शन नहीं मिल पाते। राजकोट के 10 में से 9 अस्पतालों का जवाब होता है कि उनके यहां बेड खाली नहीं है। प्रशासन ने बेड बढ़ाने के आदेश तो दिए हैं, लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों है। फूड एंड ड्रग विभाग द्वारा 3400 रेमडेसिवर इंजेक्शन का स्टॉक दो दिन पहले ही दिया गया था। इसके बावजूद इन महंगे इंजेक्शनों की कमी पिछले दो दिन से चल रही है।
प्राइवेट में है स्टॉक : बताया जा रहा है कि प्राइवेट अस्पतालों में रेमडेसिवर इंजेक्शंस का स्टॉक भरपूर है, फिर भी मरीजों के परिजन को ये वाले इंजेक्शन बाहर से खरीदकर लाने का दबाव डाला जा रहा है। मेडिकल स्टोर्स वालों का कहना है कि रोजाना 600 से 700 रेमडेसिवर इंजेक्शंस की जरूरत पड़ रही है, इसके विपरीत 500 इंजेक्शंस ही सप्लाय किए जा रहे हैं।
आरटीपीसीआर रिपोर्ट में देरी : कोरोना प्रकोप को देखते हुए प्राइवेट लैब में कोरोना की जांच कराने वालों की संख्या बढ़ रही है। इसका असर कोरोना की रिपोर्ट पर पड़ रहा है और आरटीपीसीआर रिपोर्ट मिलने में दो से तीन दिन लग रहे हैं, तब मरीज को पता चलता है कि वह निगेटिव है या पॉजिटिव।अहमदाबाद बीजे मेडिकल कॉलेज में रविवार को 1700 से ज्यादा कोरोना टेस्ट हुए। सरकारी सेंटर्स पर लिए गए कोविड सैंपल में से 25 फीसदी लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, जबकि ग्रीन जोन में लिए गए सैंपल में 6 से 8 प्रतिशत लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
सूरत में ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग बढ़ी : मरीज बढ़ने का असर यह हुआ कि ऑक्सीजन सिलेंडर्स की मांग भी बढ़ने लगी है। जो लोग घर पर इलाज करा रहे हैं, उन्हें भी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है तो वे सिलेंडर खरीदकर ले जाते हैं। इन सब के चलते सूरत में बीते दो दिनों में चार से छह हजार छोटे-बढ़े ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग रही। सिविल और स्मिेमेर अस्पतालों में जहां तीन हजार सिलेंडर्स की मांग थी, जो बढ़कर दोगुनी हो गई है। लोग लाइन में खड़े रहकर सिलेंडर हासिल कर रहे हैं।
बॉडी लेने के लिए लाइन : राज्य में मौतों के आंकड़े बढ़ रहे हैं, वहीं सरकारी आंकड़ों में भारी गड़बड़ देखने को मिल रही है। अहमदाबाद, सूरत वडोदरा और राजकोट में डेड बॉडी स्टोरेज फुल हो चुके हैं और हर घंटे नई बॉडी आ रही है। डेड बॉडी स्टोरेज के आसपास लोगों की भीड़ है, उनसे बात करने पर पता चला कि तीन से चार घंटे इंतजार के बाद परिजन की बॉडी क्लेम कर पा रहे हैं। उसके बाद बॉडी को एंबुलेंस से सीधे मुक्तिधाम पहुंचाया जाता है, परिजन पीछे-पीछे वहां पहुंच जाते हैं। अस्पतालों का कहना है कि उनकी एंबुलेंस चौबीस घंटे मुक्तिधाम के चक्कर लगाती रहती है।
दाह-संस्कार में भी वेटिंग : सरकारी आंकड़े कुछ भी कह रहे हों, लेकिन मुक्ति धाम पर दाह-संस्कार के लिए भी दो घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। सूरत में रोजाना तीन से 8 लोगों की मौत हो रही है। अश्विनी कुमार मुक्तिधाम में रोजाना 80 बॉडी आ रही है। इसी तरह जहांगीरपुर स्थित कुरुक्षेत्र नामक मुक्तिधाम पर 30 से 35 बॉडी रोजाना आ रही हैं।
टारगेट दिखाने के लिए जांच के नाम पर गोलमाल : राज्य में कुछ गैर जिम्मेदार कर्मचारी गोलमाल करने में व्यस्त हैं। अपने सेंटर से अधिक जांच की जाना दिखाने के लिए ये लोग खाली सैंपल भी भारी मात्रा में भेज रहे हैं। ऐसे में यदि 100 सैंपल में 20 खाली पाए गए तो वे निगेटिव की श्रेणी में गिने जाते हैं। इस तरह ये कर्मचारी कोरोना जांच के आंकड़े बढ़ाने के लिए इस तरह का खेल कर रहे हैं। राज्य में कोरोना सैंपल के बीच खाली सैंपल रखे जाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
नकली सैंपल बनाते रंगेहाथ पकड़ा : राजकोट में पड़धरी के खोड़ा पीपर स्वास्थ्य केंद्र पर यहां के कर्मचारी नकली सैंपलिंग करते हुए रंगेहाथ पकड़े गए हैं। इन्होंने यह दिखाने के लिए कि हमने सर्वाधिक जांच की है, इसके नाम पर 1300 सैंपल किट खराब कर दी। सैंपल पर नकली नाम और नंबर लिखकर भेज दिए गए। ऐसा करने से लैब का मैसेज सीधे इन कर्मचारियों के पास आया, लेकिन नंबर लगभग सेम होने के बाद यह गोलमाल उजागर हुआ। इसके बाद सीएम रूपाणी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।