एक तरफ़ जहां मीडिया में निरंजनी अखाड़े के कुंभ मेले से बाहर जाने की बात चल रही है, अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरी ने इन ख़बरों को गलत बताया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक निरंजनी अखाड़े सचिव रविंदर पुरी के एक बयान में कहा, “14 अप्रैल को संक्रांति के मौके पर हुआ मुख्य स्नान खत्म हो चुका। हमारे अखाड़े में बहुत सारे लोगों को कोविड के लक्षण हैं। इसलिए हमारे लिए कुंभ मेला खत्म हो चुका।”
इस बीच महानिर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी कपिल देव की मौत की खबर आई है। उनकी उम्र 65-70 साल के बीच बताई जा रही है और वो चित्रकूट के रहने वाले थे। अपर मेला अधिकारी रामजी शरण शर्मा के मुताबिक स्वामी कपिल देव मेला क्षेत्र में पहले साधु हैं जिनकी कोविड से मृत्यु हुई।
उधर हरि गिरी ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “निरंजनी अखाड़ा बाहर जा रहा है, ये पूरी तरह से ग़लत खबर है।” उन्होंने कहा, “यहां कई सौ साधु रहते हैं। ये कैसे हो सकता है कि निरंजनी अखाड़ा बाहर जा रहा है। निरंजनी अखाड़े के कुछ महात्मा ज़रूर कह सकते हैं कि वो जाएंगे। वो अलग बात है, निरंजनि अखाड़ा कुंभ मेला छोड़कर थोड़ी बाहर जाएगा। महात्मा आते जाते रहते हैं।”
हरि गिरी ने कहा कि स्थिति पर अखाड़ों की बैठक होगी जिसमें विचार होगा कि किन अखाड़ों में क्या व्यवस्था है।
यहां बता दें कि रिपोर्टों के मुताबिक अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी कोविड की वजह से अस्पताल में हैं। उनके फोन पर एक व्यक्ति ने बताया कि वो बातचीत के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
उधर अपर मेला अधिकारी रामजी शरण शर्मा ने निरंजनी अखाड़ा के मेले से बाहर जाने की पुष्टि की और उसका स्वागत किया। शर्मा ने कहा, “मैं ये उम्मीद कर रहा हूं कि वो (बाकी के अखाड़े भी) धीरे-धीरे बाहर जा सकते हैं। मेले में एक अच्छा संदेश ये जाएगा कि लोग इसके प्रति चिंतित हैं कि अगर ये महामारी फैल रही है।”रामजी शरण शर्मा के मुताबिक निरंजनी अखाड़े के फैसले से “मेले की व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा, भीड़ कम होगी, इससे संक्रमण और कम होगा।”
असल में स्थिति क्या है ये साफ़ नहीं है। हमने इस बारे में निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंदर पुरी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। कुंभ में फैलती कोरोना महामारी को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है।
हरिद्वार के मुख्य मेडिकल अधिकारी डॉक्टर एसके झा के मुताबिक 10-14 अप्रैल के बीच कुंभ मेला क्षेत्र में 1664 कोविड पॉज़िटिव मामले पाए गए, जिनमें 35 साधु हैं। डॉक्टर झा के मुताबिक मेला क्षेत्र में पॉज़िटिविटी रेट 0.29 प्रतिशत है। हमने जिन साधुओं से बात की उनका दावा था कि अखाड़े कोरोना से प्रभावित नहीं हैं।किन्नर अखाड़े के लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि एहतियात के तौर पर उनका अखाड़ा दर्शन, लोगों से मिलना-जुलना पूरी तरह बंद कर चुका है और उनके अखाड़े को कुंभ से बाहर जाना भी होगा तो वो 27 अप्रैल का स्नान करके जाएंगे।
उन्होंने कहा, “जहां पर हम हैं, वहां बाहर के व्यक्तियों को आने नहीं दे रहे हैं। हमारे यहां बिल्कुल कोविड नहीं फैला है। हम बहुत सावधान हैं।”
लेकिन दिगंबर अखाड़े से जुड़े बाबा हठयोगी ने कहा कि अखाड़ों में कोरोना तेज़ी से फैल रहा है और साधुओं को सतर्क रहने की ज़रूरत है। उन्होंने इसकी एक बड़ी वजह साधुओं की ‘बेफ़िक्री’ बताई।