कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोरोना त्रासदी को लेकर मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार को अभी सिर्फ एक बात का ध्यान देने की ज़रूरत है और वो है लोगों की जान बचाना। अख़बार ‘द हिन्दू’ को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार ने वक्त से पहले ही कह दिया कि कोरोना वायरस पर उन्होंने जीत हासिल कर ली है और उन्होंने संसद की स्टैंडिंग कमिटी की उस सलाह को भी नज़रअंदाज़ कर दिया जिसमें तैयारी बनाए रखने की बात कही गई थी।
सोनिया गांधी ने कहा कि फरवरी महीने के शुरू के दिनों से भारत और विदेश के सरकारी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि स्थिति बिगड़ सकती है लेकिन सरकार दूसरे कामों में व्यस्त रही। इस दौरान आने वाले वक्त में कोरोना के संभावित असर के बारे में बिना सोचे देश में सुपर स्प्रेडर कार्यक्रम आयोजित किए गए।
उन्होंने कहा कि ये वक्त राजनीति का नहीं है बल्कि मिलकर काम करने का है। प्रधानमंत्री चाहें तो क्रेडिट लें, इसमें कोई नई बात नहीं होगी, लेकिन कोई कदम तो उठाएं।उन्होंने कहा कि बीते दिनों पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने अनुभव के आधार पर प्रधानमंत्री को सुझाव देते हुए एक पत्र लिखा लेकिन प्रधानमंत्री ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया, बल्कि स्वास्थ्य मंत्री ने उन पर और कांग्रेस पर निजी और पूरी तरह से अनैतिक हमला किया।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 पर क़ाबू पाने के लिए सुझावों के साथ बीते 14 महीनों में मैंने प्रधानमंत्री को 10 चिट्ठियाँ लिखी हैं, लेकिन इनमें से किसी पर भी कोई सार्थक जवाब नहीं मिला।उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार 18 से 45 साल के बीच के लोगों को नज़रअंदाज़ कर रही है, उनसे उम्मीद की जा रही है कि वो वैक्सीन की अधिक क़ीमत चुकाएं।
सोनिया गांधी ने कहा,हमारी पार्टी का मानना है कि सभी को मुफ्त में वैक्सीन मिलनी चहिए ओर जितनी जल्दी हो सके मिलनी चाहिए। इसके लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदारी लेते हुए वैक्सीन उत्पादकों से बात करनी चाहिए, लेकिन उन्होंने ऐसा माहौल तैयार किया है जिसमें वैक्सीन की अलग-अलग क़ीमतें हैं और स्थिति से फायदा उठाने को बढ़ावा दिया जा रहा है।