रायपुर, पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं की नजर बंगाल और असम पर सबसे ज्यादा थी। असम में सत्ता में वापसी और बंगाल में बेहतर प्रदर्शन के बाद अब केंद्रीय नेताओं का रुख छत्तीसगढ़ की तरफ होगा। देश में कांग्रेस शासित राज्यों में सबसे मजबूत छत्तीसगढ़ की सरकार है। इसे देखते हुए केंद्रीय संगठन ने राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया है।
बंगाल का प्रभारी होने के कारण शिवप्रकाश ने अब तक सिर्फ एक बार प्रदेश का दौरा किया है। पहले दौरे में ही शिवप्रकाश के तेवर देखने के बाद नेताओं को यह अंदाजा लग गया था कि आने वाले समय में आक्रामक राजनीति करनी होगी। इसकी बानगी शिवप्रकाश की पहली बैठक में दिखी, जिसमें उन्होंने कांग्रेस सरकार के करीबी कुछ नेताओं को नाम लेकर बता दिया कि प्रदेश में क्या चल रहा है, इसकी भनक उनको है।
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो प्रदेश संगठन के कामकाज को मजबूत करने के लिए प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी के साथ सह प्रभारी नितिन नबीन को बनाया। सौदान सिंह को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद उनकी जगह शिवप्रकाश को जिम्मेदारी दी गई। भाजपा के आला नेताओं ने बताया कि प्रदेश प्रभारी हर सप्ताह आला नेताओं की वर्चुअल बैठक ले रहीं हैं।
नेताओं के कामकाज और केंद्रीय संगठन से मिले टास्क की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। वहीं, अब शिवप्रकाश 15 मई से पहले प्रदेश के नेताओं की बैठक लेंगे। इसमें कोरोना काल में किए काम की समीक्षा करेंगे। साथ ही उन मुद्दों को लेकर भी चर्चा करेंगे, जिसके माध्यम से राज्य सरकार को घेरा जा सके।
कुछ नेताओं को मिल सकती है जिम्मेदारी
भाजपा के प्रदेश संगठन में कुछ नेताओं को महत्वूपर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। रमन सरकार ने मंत्री रहे नेताओं को संगठन के कामकाज में शामिल किया जा सकता है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो इन नेताओं को कार्यक्रम के आधार पर जिम्मेदारी दी जाएगी। इसमें आदिवासियों और पिछड़ा वर्ग के वोटरों को ध्यान में रखकर तैयारी की जा रही है।
छत्तीसगढ़ के नेताओं के प्रचार वाली सीटों में मिली जीत
असम विधानसभा चुनाव प्रचार में प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय और भाजपा नेताओं की टीम ने एक महीने तक प्रचार अभियान को संभाला। पवन साय ने बताया कि छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ताओं ने तीन लोकसभा की 29 विधानसभा में प्रचार और बूथ लेवल मैनेजमेंट किया। एक-एक नेता रोजाना तीन से पांच किलोमीटर पैदल चलकर घर-घर संपर्क करता था। उनके प्रचार वाली 21 सीट पर जीत मिली है। भाजपा नेताओं ने प्रचार के दौरान मीडिया से दूरी बनाए रखी और बिना किसी तामझाम के सिर्फ प्रचार किया और पार्टी की बात को वोटर तक पहुंचाया।