जबलपुर । अखिल भारतीय संयुक्त अधिवक्ता मंच ने देश के सभी वकीलों को शीघ्र ही मेडिक्लेम व हेल्थ इंश्योरेंस की सुरक्षा देने की मांग की है। इस सिलसिले में राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्र कुमार वलेजा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र भेजा है। पत्र में कानून मंत्री की ओर से 13 फरवरी, 2019 को लखनऊ में की गई घोषणा का स्मरण कराते हुए मांग की गई है कि वर्तमान में कोविड 19 के कारण देश के कई वकीलों की इलाज के अभाव में अकाल मृत्यु हुई है।
केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को दिल्ली के वकीलों के लिए मेडिक्लेम तथा हेल्थ इंश्योरेंस लागू किए जाने हेतु प्रीमियम की राशि अदा की है। लिहाजा, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों यानी पूरे देश के वकीलों को भी इसी तरह का लाभ मिलना चाहिए। कोरोना लॉकडाउन के कारण लगभग 15 माह से कोर्ट में केवल अर्जेंट प्रकरणों की वर्चुअल सीमित रूप से सुनवाई हो रही है। जिससे देश के वकील को आर्थिक परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है।
हड़ताली नर्सों के खिलाफ कार्रवाई की मांग, सरकार को भेजा नोटिस, 24 घंटे में कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की चेतावनी : नर्सों की हड़ताल से आम जनता का परेशानी हो रही है। अत: सरकार नर्सों के खिलाफ कार्रवाई करें। 24 घंटे में कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने इस आशय का नोटिस राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को भेजा है।
नोटिस में कहा गया है कि वर्ष 2016 में नर्सों की हड़ताल को लेकर उपभोक्ता मंच ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हड़ताल वापस होने पर याचिका इस स्वतंत्रता के साथ वापस ले ली गई थी कि पुन: हड़ताल होने पर याचिका दायर की जाएगी। इसके बाद वर्ष 2018 में फिर से नर्सों की हड़ताल हुई। हड़ताल समाप्त होने पर याचिका वापस ले ली गई। एक बार फिर नर्सों की हड़ताल शुरू हो गई।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने कोरोना काल में मृत नर्सों के परिजनों को मुआवजा और अनुकम्पा दिलाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में याचिका दायर की है। मंच ने कहा है कि कोरोना काल में नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों के मानव अधिकार का हनन हुआ है, लेकिन कोरोना काल में स्वास्थ्य कर्मियों को हड़ताल के जरिए ब्लैकमेल करने का हक नहीं है।