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बार्डर से पार हो रही शराब, पुलिस व आबकारी की कार्यप्रणाली पर सवाल

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एमपी व महाराष्ट्र से आधी कीमत पर पहुंच रही है जिले सहित प्रदेश में शराब की खेप, लाखों का हो रहा अवैध कारोबार
राजनांदगांव (दावा)।
पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र से रोजाना बड़ी मात्रा में जिले के रास्ते शराब की तस्करी हो रही है। किसी भी अप्रिय वारदात व तस्करी को रोकने बार्डर में चेक पोस्ट लगाया गया है। बावजूद इसके चेक पोस्ट में बिना जांच के ही पड़ोसी राज्यों से शराब की खेप का यहां पहुंचना पुलिस व आबकारी विभाग के कार्यप्रणाली पर कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गांव-गांव व कस्बों में हो रहे अवैध शराब बिक्री को रोकने राज्य में शराब दुकानों को सरकारीकरण किया गया है। राज्य में शराब दुकानों के सरकारीकरण के बाद भी शराब माफियाओं द्वारा पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के शराब तस्करो से हाथ मिला लिया और सरकार के समानांतर गांव-गांव में अपनी शराब की दुकानें खुलवा दी गई है। बताया जा रहा है कि शराब माफियाओं का यह धंधा छोटा मोटा भी नहीं है बल्कि हर दिन पूरे जिले सहित आसपास के जिलों में लाखों की शराब अवैध तरीके से ही बेची जा रही है। जिले के अलग-अलग गांवों और ढाबों में भी एमपी पैक शराब मिल रही है।

माफियाओं का तार जुड़ा है पड़ोसी राज्यों से
मिली जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में शराब की दुकानें अभी भी ठेके प्रणाली पर चल रही हैं। ऐसे में वहां शराब के दाम छत्तीसगढ़ के मुकाबले काफी कम है। इसके अलावा यह काम निजी हाथों में होने से वहां के शराब कारोबारियों ने छत्तीसगढ़ में अवैध शराब का नया बाजार तलाशा है। एमपी के माफिया व यहां के तस्कर मिल कर अवैध शराब का गोरखघंधा जोरों पर चला रहे है। बताया जा रहा है कि शराब के इस कारोबार में कुछ राजनीतिक रसूखदारों का हाथ है। इसके चलते बड़े तस्करों तक न तो आबकारी विभाग पहुंच पा रहा है और न ही पुलिस.

आधी से भी कम कीमत पर पहुंचाकर दे रहे पेटी
मध्यप्रदेश से आने वाली शराब के दाम यहां पहुंचने के बाद भी छत्तीसगढ़ की शराब से कम है। राजनांदगांव जिले में गोवा नाम की अंग्रेजी शराब की एक पेटी जो मध्यप्रदेश से आ रही है। वह 3 हजार रूपये में बड़े कोचिये को मिल रही है। इसके बाद इसे गांव-गांव में छोटे कोचिये, ढाबों, चखना सेंटर चलाने वाले उन्हें यह 3500 से 4000 रूपये पेटी में दी जा रही है। चिल्हर वालों को एक पेटी के पीछे 1 हजार से 15 सौ रूपये तक फायदा हो रहा। वहीं छत्तीसगढ़ की सरकारी गोवा शराब की कीमत पेटी में 6 हजार रुपए के आसपास है। यानि छत्तीसगढ़ में मध्यप्रदेश के मुकाबले शराब की कीमत दोगुनी है। यहीं वजह है कि तस्कर मध्यप्रदेश से आधी कीमत पर शराब ला कर यहां खपा रहे है और मुनाफा कमा रहे हैं।

बार्डर क्षेत्रों से जिले के रास्ते पूरे प्रदेश में सप्लाई
मिली जानकारी के अनुसार एमपी से शराब निकलने के बाद यह बालाघाट होते साल्हेवारा, साल्हेटेकरी सहित बार्डर के कुछ गांवों में डंप हो रही है। वहीं महाराष्ट्र से देवरी के अलावा गढ़चिरौली क्षेत्र से अलग-अलग माध्यमों से राजनांदगांव फिर आसपास के जिलों के अलावा राजधानी रायपुर भेजा जाता है। तस्करों द्वारा इसे अपने साधनों के जरिये पूरे प्रदेश में भेजा जाता है। यह सिलसिला लगातार चल रहा है। मिली जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश से जिले में हर दूसरे दिन करीब 10 से 12 लाख रूपये से उपर की शराब सप्लाई हो रही है। आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन द्वारा आए दिन छोटे तस्करों पर कार्रवाई का दिखावा किया जाता है। जबकि अब तक किसी बड़े तस्करों के गिरेबांह तक इन विभागों के हांथ नहीं पहुंच पाई है।

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