बिलासपुर। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने अपने वकील के जरिए छत्तीसगढ हाई कोर्ट में जवाब पेश करते हुए कहा कि इंटरनेट मीडिया और ओटीटी प्लेटपफार्म पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। लिहाजा इस तरह के विज्ञापनों पर रोक लगाना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है।
छत्तीसगढ चेंबर आपफ कामर्स के अध्यक्ष व प्रमुख समाजसेवी रामअवतार अग्रवाल ने अपने वकील के जरिए छत्तीसगढ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस बात की शिकायत दर्ज कराई है कि टीवी पर दिखाए जाने वाले लोकप्रिय कार्यक्रमों के दौरान सीरियालों,पिफल्मों व अन्य कार्यक्रमों के दौरान अश्लीलता का जमकर प्रदर्शन किया जाता है। इसके अलावा शराब व तंबाकू का विज्ञापन भी धडल्ले से दिखाया जाता है। इस तरह के विज्ञापनों पर प्रभावी रोक लगाने की मांग की हैै। बीते सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने निर्देश् जारी किया था।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सहित अन्य विभागों की तरपफ से जवाब पेश नहीं हो पाया है। चीफ जस्टिस एके गोस्वामी व जस्टिस गौतम भादुडी के डिवीजन बेेंच में जनहित याचिका की सुनवाई। प्रमुख विभागों के जवाब पेश करने की हिदायत देते हुए अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तिथि तय कर दी है।
बोर्ड ने दी यह जानकारी
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने डिवीजन बेंच के समक्ष लिखित जवाब पेश करते हुए बताया है इंटरनेट मीडिया व ओटीटी प्लेटफार्म उसके जरिए नियंत्रित नहीं होता है। नियंत्रित करने का अधिकार केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने बोर्ड को नहीं दिया है। बोर्ड सिर्फ फिल्मों,लघु फिल्म, वृत्तचित्र आदि को प्रमाणपत्र जारी करता है।
केंद्र सरकार लगातार मांग रही समय केंद्र सरकार की ओर से अब तक डिवीजन बेंच के समक्ष जवाब पेश नहीं किया गया है। सुनवाई के दौरान एक बार केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ने जवाब पेश करने के लिए समय मांग लिया।
क्या है जनहित याचिका में
छग चेंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष व समाजसेवी रामावतार अग्रवाल ने जनहित याचिका में इस बात की शिकायत की है कि इंटरनेट मीडिया व ओटीटी प्लेटफार्म पर नशे के विज्ञापनों के अलावा लगातार अश्लीलता परोसी जा रही है। नशीेले पदार्थों का विज्ञापन भी दिखाए जा रहे हैं।
लुभावने विज्ञापनों के कारण युवा पीढी भी आकर्षित हो रही है और सेवन भी कर रही है। एक बडी संख्या नशे के आदी होती जा रही है। विज्ञापन एजेंसियों कडे कानूनों बचने के लिए चालाकी भी कर रही है। शराब के विज्ञापन ब्रांड नेम से म्यूजिक सीडी,पानी बोतल, सोडा आदि के नाम पर भ्रमित करते हुए दिखाए जा रहे हैं। विज्ञापन कंपनियों द्वारा केंद्र सरकार के मापदंडों का भी पालन नहीं कर रही है।