Home छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को `महात्मा फुले समता पुरस्कार’ से किया गया सम्मानित

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को `महात्मा फुले समता पुरस्कार’ से किया गया सम्मानित

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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को रविवार को महात्मा ज्योतिबा फुले की 131वीं पुण्यतिथि पर पुणे में महात्मा फुले समता पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। पुणे के महात्मा फुले स्मारकसमता भूमि’ में अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद् द्वारा आयोजित समारोह में परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष छगन भुजबल ने फुले पगड़ी, मानद शाल, सम्मान निधि और स्मृति चिन्ह प्रदान कर से सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपने कार्यकाल के दौरान समाज के वंचित वर्गों को न्याय दिलाने की दिशा में लिए गए फैसलों और असाधारण महत्वपूर्ण कार्यों के लिए इस वर्ष के महात्मा फुले समता पुरस्कार’ के लिए चुना गया है। मुख्यमंत्री को कार्यक्रम में महात्मा ज्योतिबा फुले की पुस्तककिसान का कोड़ा’ की प्रति भेंट की गई। इसके पहले मुख्यमंत्री ने महात्मा फुले स्मारक `समता भूमि’ में महात्मा फुले और श्रीमती सावित्री बाई फुले की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।

मुख्यमंत्री बघेल ने महात्मा ज्योतिबा फुले और श्रीमती सावित्री बाई फुले को नमन करते हुए कहा कि समाज के वंचितो, पीड़ितों, शोषितों और तिरस्कृत लोगों के लिए जीवन भर काम किया, उन्हें जीवन की राह दिखाई और समाज में सम्मान दिलाया। महात्मा फुले का जीवन क्रांतिकारी का जीवन था। उन्होंने अपने समय की समस्याओं को नजदीक से देखा, समझा और उनका निदान भी खोजा। उन्होंने समाज में व्याप्त रूढ़ियों पर सीधे तौर पर प्रबल प्रहार किया, उस समय की शिक्षा, चिकित्सा और समता की समस्याओं के निदान का काम करते हुए समतामूलक समाज के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।

बघेल ने इस अवसर पर महाराष्ट्र की पुण्य भूमि को नमन करते हुए कहा कि यह भूमि महात्मा ज्योतिबा फूले, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर सहित अनेक संत महात्माओं की और वैचारिक क्रांति भूमि है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब पूरी दुनिया के जीडीपी का 23 प्रतिशत हिस्सा हिंदुस्तान का होता था। हिंदुस्तान के पांच हजार साल के इतिहास में साढ़े तीन हजार साल पिछड़ों का राज रहा। लोग खेती किसानी करते थे, और हुनरमंद शिल्पकार और कारीगर शिल्पकारी और कारीगिरी करते थे।

प्राचीन काल में हिन्दुस्तान का व्यापार देश दुनिया में खूब फला-फूला इसलिए हिंदुस्तान सोने की चिड़िया कहलाया। यह स्थिति मुगलकाल में भी रही लेकिन अंग्रेजों के शासन काल में देश की अर्थव्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गई। खेती किसानी नष्ट होने लगी, हुनरमंद लोगों के पास काम नहीं रहा। ऐसे में एक ज्योति महात्मा ज्योतिबा फुले के रूप में सामने आई। जिन्होंने समाज सुधार के माध्यम से समतामूलक समाज की स्थापना के लिए कार्य किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली ताई, बापू भुजबल, हरि नरके, सिद्धार्थ कुशवाहा सहित अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद के अनेक पदाधिकारी जन प्रतिनिधि और प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।

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