चंपक को बहुत गुमशुम बैठे देख शहरवासी ने पूछा, क्या बात है, दु:खी क्यों हो? ऐसी कौन-सी बात आन पड़ी कि तुमने सिर पकड़ लिया है। वह बोला- कोरोना वायरस फिर आने वाला है, सुनकर मन बहुत विचलित हुआ जा रहा है। ये फिर आ गया तो अब हम सबका क्या होगा? दो साल तक हम इसके कहर को झेल चुके हैं। न जाने कितने लोगों को इस वायरस ने लील लिया। हमारे अपनों को कोरोना ने अपना ग्रास बना लिया। किसी तरह इससे निजात मिली थी। जनजीवन फिर पटरी पर आने लगा है। इस बीच कोरोना वायरस की चौथी लहर से मेरी धडक़नें तेज होने लगी हैं। मैं तो यही सोचकर सिहर जाता हूं, फिर कोरोना आया तब हम सबका फिर क्या हाल होगा? पता नहीं कौन बचेगा और कौन मरेगा? चंपक की बातों में वजन था, सो शहरवासी भी कुछ देर के लिए चिंतन में डूब गया। वह भी सोचने लगा कि चंपक जो बोल रहा है, वैसा कुछ हुआ तो एक बार हम सब पुन: संकट में फंस जायेंगे। चंपक ने कहा- अब आपको क्या हुआ? क्यों खामोश हो गए? शहरवासी ने कहा- यार तेरी बात में दम है। मुझे भी अब थोड़ी-सी चिंता सताने लगी है कि यदि सच में कोरोना की चौथी लहर आएगी तो स्थिति कितनी भयावह हो सकती है? इसके लिए हम सबको कुछ करना होगा। बात को बीच में ही काटते हुए चंपक ने तपाक से सवाल किया- क्या करना होगा? यही कि इसके पहले जो सावधानी और परहेज रखते आ रहे थे, वही सब कुछ- शहरवासी ने कहा। चंपक बोला- लेकिन कब तक? क्या यह वायरस जिंदगी भर हमारा पीछा नहीं छोड़ेगा? क्या हम ऐसे ही डर-डर कर दहशत के साये में जीते रहेंगे? शहरवासी ने कहा- यार चंपक, तुम वाकई सीरियस हो गए। हमारी सरकार, प्रशासन बार-बार आगाह कर रहे हैं- टीका लगवाओ, पर कुछ लोग हैं कि अपनी जिद पर आज भी अड़े हुए हैं। सीधी सी बात है टीका लगवाओ-कोरोना से मुक्ति पाओ। चंपक बोला- टीका लगवाने के बाद भी वही सावधानी रखनी पड़ रही है, जैसा, टीका लगवाने के पहले रखनी पड़ती थी। यार तुम यहीं पर मार खा जाते हो, जब सारे लोगों का शत-प्रतिशत टीकाकरण हो जाएगा, तब इन सावधानियों की जरूररत ही नहीं पड़ेगी- शहरवासी ने कहा। चंपक बोला- ओह, अब समझ आया कि कोरोना रूक-रूक कर हम सबको क्यों परेशान कर रहा है? मतलब जब सबके सब टीका लगवा लेंगे, उसके बाद कोरोना गायब हो जाएगा? शहरवासी ने कहा- हां, अब तुम को बात समझ में आई। हमारे कलेक्टर साहब भी तो यही बात कब से कहते आ रहे हैं- जो भी लोग छूट गए हैं या जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है, वे सभी टीका लगवा लें। उसके बाद तो कोरोना का काम ही तमाम हो जाएगा। चंपक बोला- यार तुमने तो मेरा सारा टेंशन ही दूर कर दिया। सच कहूं तो मैंने अभी तक टीका ही नहीं लगवाया है। अब कल ही जाकर टीका लगवाता हूं और मेरे जो भी करीबी लोगों ने टीका नहीं लगवाया है, उनको भी अपने साथ लेकर टीकाकरण केन्द्र लेकर जाऊंगा। शहरवासी ने कहा- शाबास चंपक, यही समझदारी हर कोई दिखाने लगे तो कोरोना महामारी की कोई लहर ही नहीं आएगी और हम सब भयमुक्त वातावरण सामान्य जीवन जी सकेंगे।
मानसून ने दी दस्तक
शहरवासी को जहां तक याद आ रहा है वर्ष २०२2 सबसे गर्म साल रहा। इस साल मार्च में ही गर्मी की शुरूआत हो चुकी थी, जो जून के दूसरे पखवाड़े तक चला। हालांकि इसके पहले के वर्षों में मार्च के आखिर में गर्मी की शुरूआत होती थी और नवतपा के आगमन यानि २५ मई के बाद से ही बदली बारिश का मौसम बनना शुरू हो जाता था। इस बार मानसून पूरे पखवाड़े भर विलंब से आ रहा है। मानसून के सामने इस बार मौसम विभाग भी गच्चा खा गया। विभाग ने पहले २७ मई के आसपास केरल में मानसून के दस्तक देने की भविष्यवाणी की थी। उसके बाद कहा गया- तीन जून को मानसून केरल तक पहुंचेगा। किंतु मौसम विभाग की दोनों भविष्यवाणी को मानसून ने खारिज कर दिया। वैसे मौसम विभाग और ज्योतिष विज्ञान संभावनाओं पर आधारित है। निश्चित तौर पर सटीक भविष्यवाणी असंभव सा लगता है, क्योंकि प्रकृति अपनी मर्जी का मालिक है। उस पर किसी का बस नहीं चलता। प्रकृति को लेकर सिर्फ अनुमान अथवा संभावना, आशंका ही जताई जा सकती है। देर आयद, दुरूस्त आयद की तरह आखिरकार मानसून आ ही गया। वैसे कुछ दिन पूर्व हल्की फुहारें भी पड़ीं, जिसे प्री मानसून कहा गया, किंतु अब यह कहा सकता है कि मानसून पहुंच चुका है। रविवार की सुबह तेज गरज-चमक के साथ अच्छी बारिश हुई। मौसम में ठंडकता आ गई। भीषण गर्मी और उमस से लोगों ने राहत पाई। अब जबकि प्रदेश के कई हिस्सों में रूक-रूककर मानसूनी बारिश होने लगी है, तब मौसम विभाग ने भी ऐलान कर दिया है कि मानसून छत्तीसगढ़ पहुंच चुका है। पहली मानसूनी बारिश का लोगों ने अपने-अपने अंदाज में स्वागत किया। कुछ लोग बरसते पानी में जानबूझकर भीगने का मजा लेते रहे तो कुछ लोग बारिश से बचने के लिए इधर-उधर दुबकते रहे। आगामी दिनों में बारिश के और तेज होने के साथ ही गर्मी पूरी तरह काफूर हो जाएगी, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए।
पुलिस की सख्ती, फिर भी बढ़ रहे अपराध
पुलिस कप्तान संतोष सिंह वैसे काफी क्रिएटिव शख्स के नाम से जाने जाते हैं। जिले में पदभार संभालने के बाद से नशा सहित तमाम अवैध कारोबार के खिलाफ वे लगातार निजात नामक अभियान चला रहे हैं। इस अभियान को सफलता भी मिल रही है। विभिन्न समाज और संगठनों के लोग उन्हें इस अभियान की कामयाबी के लिए बधाई और शुभकामनाएं देने भी पहुंच रहे हैं। शहरवासी भी एसपी साहब को बधाई देता है कि वे एक नई सोच के साथ सामाजिक बदलाव और जागरूकता लाने की दिशा में सकारात्मक काम कर रहे हैं, किंतु कुछ न कुछ कभी तो हमेशा रहती ही है। निजात एक अभियान है, जिसका सामाजिक सरोकार है। उसका अपना महत्व है, लेकिन अपराधी तो असामाजिक होते हैं, यह सर्वविदित है। पुलिस तमाम तरह के अपराधों से जुड़े लोगों की धरपकड़ कर रही है, लेकिन यह विचारणीय प्रश्र है कि इन सबके बावजूद अपराध कम क्यों नहीं हो रहे हैं? दिनोदिन आपराधिक घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि पुलिस का पूरा ध्यान सिर्फ निजात और पुराने मामलों के अपराधियों की धरपकड़ में ही केन्द्रित हो चुकी है। पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद जिले में पशु तस्करी, शराब, हत्या, बलात्कार, ठगी, लूट जैसी घटनाएं हो रही हैं तो इसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन है? क्या बदमाशों के मन में पुलिस का खौफ नहीं रह गया है? क्या अब पुलिस का वह टेरर नहीं रह गया है, जब अपराधी पुलिस का नाम सुनकर ही कांपते थे? दिनदहाड़े किसी महिला के घर में घुसकर उस पर जानलेवा हमला करने की हिम्मत आखिर कोई भला कैसे कर सकता है? एसपी साहब को इन बातों की ओर भी ध्यान देना होगा, ताकि कोई भी बदमाश या अपराधी के मन में उस कृत्य को अंजाम देने के पहले यह बात आए कि यदि उसने कुछ भी गलत किया तो पुलिस उसे नहीं छोडऩे वाली है।
शाला प्रवेशोत्सव की धूम
दो सालों के बाद यह पहला मौका है, जब बच्चों को अपने-अपने स्कूलों में जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। इसके पहले कोरोना वायरस से स्कूल-कालेजों में विद्यार्थियों के जाने पर अघोषित प्रतिबंध लगा रखा था। इस महामारी का खौफ इतना कि विद्यार्थियों को कक्षा में पढ़ाई के लिए बैठने की अनुमति तो दूर बैठकर परीक्षा देने की भी अनुमति नहीं मिली। वैसे इस साल जनवरी के बाद से कोरोना के केस लगातार कम होते चले गए, उसके बावजूद सरकार ने बच्चों को परीक्षा हाल में नहीं बल्कि घर बैठे ही आनलाईन परीक्षा देने कहा। हालांकि सरकार का यह प्रयोग उन बच्चों के लिए फायदेमंद रहा, जो पढ़ाई में काफी कमजोर थे। उन बच्चों ने मन ही मन सरकार का धन्यवाद ज्ञापित किया कि मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है। अब जबकि कोरोना के नगण्य केस सामने आ रहे हैं, तब इस बार स्कूल-कालेजों को पूरी तरह से खोल दिया गया है। १६ जून को स्कूलों में बच्चों की दस्तक के साथ ही अलग ही वातावरण देखने को मिला। दो साल बाद बिना किसी भय के अपनी कक्षाओं में बैठने वाले बच्चों के चेहरों पर उत्साह साफ झलक रहा था। पालकों में भी खुशी देखी गई कि उनके बच्चे दो साल अपने स्कूलों मेें पढ़ाई करेंगे। चूंकि दो साल बाद सामान्य वातावरण में स्कूलों के पट खुले तो लाजिमी था कि नवप्रवेशी बच्चों के स्वागत-सम्मान में उत्सव मनाया जाएगा। म्युनिसिपल स्कूल, जहां अब स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल का संचालन हो रहा है, वहां शहर की प्रथम नागरिक और जिलाधीश की मौजूदगी में धूमधाम से शाला प्रवेशोत्सव मनाया गया। नन्हें बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देकर लोगों का मनमोह लिया। बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया। शाला प्रवेश उत्सव का यह क्रम शहर सहित जिले के तमाम स्कूलों में चला। वैसे यह क्रम अभी थमने वाला नहीं हैं। संस्थाओं में नए दाखिले का काम अभी जारी है और करीब पखवाड़े भर तक प्रवेश उत्सव मनाय जायेंगे।
ईडी की कार्यवाही का विरोध
नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी द्वारा सोनिया गांधी व राहुल गांधी को पूछताछ के लिए समन जारी करने और दिल्ली स्थित कांग्रेस पार्टी कार्यालय में पुलिस द्वारा लाठी चार्ज के विरोध में पूरे देश, प्रदेश सहित शव व जिले भर में कांग्रेस द्वारा धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया गया। कांग्रेस ने केन्द्र की मोदी सरकार पर जांच एजेंसियों ईडी, सीबीआई आदि का दुरूपयोग करने का आरोप लगाकर इस पर रोक लगाने की मांग कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस नेताओं ने मोदी सरकार पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाए और कहा कि जब से यह सरकार आई है-महंगाई, बेरोजगारी अपने साथ लाई है। उम्मीद है कि कांग्रेस नेताओं द्वारा तमाम जगहों पर अधिकारियों को सौंपे गए ज्ञापन राष्ट्रपति तक पहुंच चुके होंगे। उन ज्ञापनों पर क्या कुछ होगा, यह कहना काफी मुश्किल है। कांग्रेस नेता दावा करते हैं कि नेशनल हेराल्ड वह नाम है, जिसका नाम सुनते ही अंग्रेज हुकूमत में खलबली मच जाती थी। यह अखबार गुलामी के उस दौर में आजादी के दीवानों का साथी था। एक ऐसा साथी, जो क्रांति का जोश भरता था। जो क्रांतिकारियों के विचारों को न केवल हिन्दुस्तान, बल्कि दुनियाभर में पहुंचाता था। नेशनल हेराल्ड की स्थापना पंडित नेहरू ने 1938 में की थी। दरअसल सुब्रमण्यम स्वामी की एक शिकायत पर ईडी ने सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, मोतीलाल वोरा के खिलाफ कार्रवाई शुरू की और शुरुआती जांच में पाया कि इस मामले में कोई केस बनता ही नहीं है। लिहाजा 2015 में मोदी सरकार के समय इस मामले को बंद कर दिया। 2018-19 में ईडी ने इस मामले को फिर खोला, जब कांग्रेस ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा को हराकर सत्ता हासिल की थी। उसके बाद मामला शांत हो गया और अब एक बार फिर इस मामले में सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को समन भेजा है। ईडी राहुल गांधी से तीन दिनों में ३० घंटे तक पूछताछ कर चुकी है। सोनिया गांधी के बीमार होने के कारण उनसे अभी पूछताछ नहीं की जा रही है। देखने वाली बात होगी कि इस मामले में ऊंट किस करवट बैठेगा?
‘अग्रिपथ’ ने बढ़ाई रेल यात्रियों की परेशानी
मोदी सरकार द्वारा सेना में युवाओं की भर्ती के लिए लाई गई नई योजना अग्रिपथ पर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। सेना में भर्ती होने के इच्छुक बेरोजगार युवा महज चार साल की सेवा के बाद रिटायर करने का जमकर विरोध कर रहे हैं। यूपी, बिहार, राज्स्थान, मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में बेरोजगार युवा जमकर उत्पात मचा रहे हैं। सार्वजनिक संपत्तियों, ट्रेनों सहित जगह-जगह तोडफ़ोड़ और आगजनी से उत्तर भारत सुलग रहा है। उत्तर भारत के कई राज्य विशेषकर भाजपा शाषित राज्यों युवाओं में अग्रिवीर योजना को लेकर विरोध हिंसक रूप ले चुका है। इधर अग्रिवीर योजना के विरोध और आगजनी के साथ ही तीसरी लाईन के कार्यवश रेलवे ने कई ट्रेनों को रद्द कर दिया है। गत पांच जून से रद्द की गई डेढ़ दर्जन ट्रेनों के प्रारंभ होने की संभावना के बीच रेलवे ने अब २० जून से १८ और ट्रेनों को रद्द कर दिया है। कोयला संकट और अग्रिपथ योजना के विरोध के कारण ट्रेनों को रद्द करने से यात्रियों को काफी परेशान होना पड़ रहा है। स्टेशनों में यात्रियों को ट्रेनों का इंतजार करते और भटकते देखा जा रहा है। ट्रेनें बद होने से यात्रा करने वालों को अनावश्यक रूप से परेशान होते देखा जा रहा है। रेल्वे यात्रियों की संख्या घटने का असर स्थानीय स्टेशन परिसर स्थित दुकानों की ग्राहकी के साथ ही सवारी ढोने वाले दोपहिया वाहन चालकों के रोजमर्रा पर भी बुरा असर पड़ रहा है। एक ओर अग्रिपथ को लेकर सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है तो दूसरी ओर इसका विरोध कर रहे युवा भी सरकार की सुनने को तैयार नहीं हैं। ऐसे मेें आगामी दिनों में ट्रेनों का परिचालन थमने से यात्रियों को और परेशान होना पड़ सकता है।
किसान चले खेतों की ओर
मानसून के आते ही मौसम सुहाना हो गया है। भीषण गर्मी और उमस से परेशान लोगों को राहत मिली है। किसान भी खेती-किसानी का काम करने के लिए मानसूनी बारिश के इंतजार में बैठे थे। अब जबकि मानसून ने बारिश का आगाज कर दिया है, ऐसे में किसान अब खेतों की ओर रूख करने वाले हैं। किसान भाई खेतों की साफ-सफाई, गड्ढों में घरेलू कचरे से बनने वाली खाद को खेतों मेें डालने का भी काम कर चुके हैं। उन्हें इंतजार था तो सिर्फ अच्छी बारिश का। हालांकि सोसायटियों में धान, बीज व खाद की कमी को लेकर काफी हंगामा भी हुआ। राजनीतिक दलों ने भी अपने-अपने अंदाज में किसानों को अपने साथ करने का प्रयास किया गया, किसानों को इन बातों से ज्यादा सरोकार नहीं रहता। उन्हें तो समय पर खाद, बीच मिल जाए, यही काफी होता है। जिले में सिंचाई के पर्याप्त संसाधनों की कमी के कारण ज्यादातर किसान भाई प्राकृतिक वर्षा पर ही निर्भर होकर खेती करते आ रहे हैं। वैसे भूपेश सरकार द्वारा खेती-किसानी का प्रोत्साहन देने के बाद ग्रामीणों का रूझान खेती की ओर बढ़ा है। सरकार भी रसायनिक की बजाय जैविक खाद को बढ़ावा दे रही है, जिसका नतीजा यह होगा कि लोगों को रसायनिक चीजों से मुक्त खाद्यान्न खाने को मिलेंगे। वैसे खेती-किसानी के काम में अब आधुनिकता आ गई है। पहले हर कामकाज मजदूरों के भरोसे होता था, किंतु अब आधुनिक नए-नए उपकरणों के माध्यम से काम हो जाता है। इससे समय और धन की भी बचत हो जाती है। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में अच्छी वर्षा के संकेत दे दिए हैं, अत: खेती-किसानी के कार्यों में तेजी आना लाजिमी है।
करो योग-रहो निरोग
आज फिर बदलते आधुनिक परिवेश में मानव मूल्यों को सहेजने के लिए इस वर्ष आठवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को मानवता के लिए योग थीम के साथ मनाया जाएगा। जिले भर में योग दिवस पर योग क्रियाएं आयोजित की जाएंगी। योग शब्द संस्कृत के दो शब्दों यूज और यूजीर से बना है, जिसका अर्थ है एक साथ या एकजुट होना। योग के अलग-अलग अर्थ हो सकते हैं- जैसे आत्मा, मन और शरीर की एकता, विचारों और कार्यों की एकता, इत्यादि। योग करने से मानसिक तनाव से राहत, शारीरिक और मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने, संतुलन बनाए रखने, सहनशक्ति में सुधार आदि सहित असंख्य लाभ मिलते हैं। योग के अपरिहार्य लाभों और लोगों के जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल जून के महीने में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर दुनिया भर के लोग योग स्टूडियो, खेल के मैदान, स्टेडियम और पार्क जैसे विभिन्न स्थानों पर एक साथ योग का अभ्यास करने के लिए एकत्रित होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून मंगलवार को मनाया जाएगा।
चलते-चलते…
करो योग-रहो निरोग
व्यस्त शैली, अब विषैली,
आलस बड़ा, व्याधि फैली।
निरोग तभी, मानव जाति,
योगा करें, कपालभांति,
स्मरण शक्ति, बढ़ती बुद्धि,
योग करता, मन की शुद्धि।
रहती सदा, शुद्ध आत्मा,
व्याधियों का, जड़ी खात्मा।
जन जो करें, कर्म योगी,
मनवा चंगा, तन निरोगी।
तनाव मुक्त, मिले ऊर्जा,
लगे न दाम, न ही खर्चा।
योगी बनो, भोगी नहीं,
कहे पुराण, वेदा यही।।
– शहरवासी