कहा जाता है अवसर भी ईश्वर है। जिसने मिले अवसर को पहिचान लिया और उसे मुश्किल न समझ, अपने दु:ख को भी सुख में बदल दिया, उसका श्रम, उसकी मेहनत अवश्य सफल होती है। इच्छाशक्ति रखने वाले लोगों के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव शहर में प्रतिष्ठित मिरानी परिवार की बहू श्रीमति सिद्धी बेन विवेक मिरानी उक्त संदर्भ की बेमिशाल उदाहरण है।
उल्लेखनीय कि वर्ष 2017 में उसे ब्रेस्ट कैंसर हुआ था। दुर्भाग्य से सही दिशा में इलाज न होने से कैंसर थर्ड स्टेज में पहुंच गया। मेमोग्राफी कराने के पश्चात् रोग की गंभीरता के मद्देनजर ज्ञात हुआ कि आठ माह बीत गए हैं और कैंसर जानलेवा बीमारी है। सिद्धी बेन के सौभाग्य से शरीर के अन्य भागों में कैंसर नहीं फैला था। तत्काल जरूरी ट्रीटमेंट के अंतर्गत कीमोथेरापी, रेडियेशन व अन्य जरूरी उपचार से अच्छी रिकवरी का प्रतिसाद मिला और श्रीमति मिरानी केन्सर मुफ्त होनें में सफल हुई। नि:संदेह आत्मविश्वास पराक्रम के सत्व का इसमें बड़ा योगदान था। धार्मिक संस्कार से ओतप्रोत सिद्धी का ईश्वर पर अटूट विश्वास ही था कि ईश्वर की प्रेरणा से उसने समझा कि वास्तविक धर्म केवल सेवा के ही लिए है। सच्चा जीवन जीना ही धर्म है।
दुर्ग शहर में पिता विपिन भाई विट्ठल दास लाखाणी व माता बीना बेन की कोख से जन्मी सिद्धी का विवाह राजनांदगांव शहर के विवेक सुरेश भाई मिरानी से हुआ। बीए, एलएलबी, एमए. इकानामिक्स तक की उच्च शिक्षा भी सिद्धी ने दुर्ग में ही पूरी की। उच्च शिक्षित सेवा, समर्पण व परोपकार की भावना के पैतृक गुण व सद्गुणी ससुराल की यह फलश्रुति ही थी कि कैंसर जैसे अनिष्ठ में भी उसने अच्छा सोचा। मधुमक्खी जिस प्रकार वृक्षों में खिले हुए पुष्पों में से शहद खिंच लेती है, उसी प्रकार सिद्धी मिरानी ने भी सूक्ष्म विचार व निरीक्षण दृष्टि से कैंसर को परमात्मा का आशीर्वाद मानते हुवे कैंसर कॉउन्सलर के कार्य में संलग्न हो गई। ‘सिद्धी फाउंडेशन-द सोर्स आफ स्ट्रेन्थ’ नामक एनजीओ के माध्यम से पिछले पांच सालों में कैंसर पीडि़त लगभग 75 मरीजों को कैंसर बाबत मार्गदर्शन, हिम्मत देकर उनके मनोबल को बढ़ाते हुवे उन्हें भययुक्त किया और आज वे स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
उक्त परोपकारी मानवीय कार्य में छत्तीसगढ़ राज्य के बाल एवं महिला विभाग का श्रीमति मिरानी को सहयोग प्राप्त हो रहा है। राजनांदगांव जिले के कलेक्टर सहित तमाम प्रशासनिक तंत्र व महापौर सहित अन्य सेवाभावी सामाजिक संस्थाओं का भी समय-समय पर सहयोग मिलने से सिद्धी बेन मिरानी उत्साह से भरपूर मानव सेवा को ही अपना धर्म मानते हुवे अपने कैंसर मुक्त मिशन में आगे बढ़ रही हैं। सोने में सुहागा जैसी बात यह है कि उन्हें अपनी श्रद्धेय सास हंसाबेन मिरानी एवं पति विवेक भाई मिरानी का मार्गदर्शन व सहयोग भी इस पवित्र कार्य में मिल रहा है। हाल ही में सिद्धी वी. मिरानी को विश्व लोहाणा महापरिषद के अध्यक्ष सेवाभावी सतीश भाई विलभाई विलानी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जीतूभाई ठक्कर (नासिक), मंत्रीगण हरीश भाई ठक्कर, डॉ. सुरेश भाई पोपट तथा जोन-11 के महापरिषद के अध्यक्ष किशनभाई मिरानी सहित अनेक अग्रज समाजसेवियों ने गरिमामय आयोजन में एवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया है। इस सामाजिक प्रसंग में लेखक स्वयं उपस्थित था और वहीं उसे प्रेरणा मिली कि साहसिक इस महिला को हर प्रकार से सहयोग देकर उसके मिशन को कामयाब करना भी एक समाज सेवा है।
उल्लेखनीय कि, कोरोनाकाल के दौरान भी श्रीमती मिरानी ने कैंसर जैसे गंभीर रोग बाबत अध्ययन किया और विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त की। अनेक लोगों को कैंसर से बचने और योग्य मार्गदर्शन वह शिविर लगाकर देती हैं। जिसमें सही डायग्रोसिस के बाद ब्रेस्ट रिमुवल न हो तथा कंजरवेटिव सर्जरी के द्वारा महिलाओं को विशेष राहत मिले, उस दिशा में उचित मार्गदर्शन देती है। दुर्ग, राजनांदगांव, रायपुर, शहरों के खासकर ग्रामिण क्षेत्रों में केन्सर बाबत महिलाओंं को जागरूक करती हैं।
आगामी फरवरी 23 में ‘वल्र्ड कैंसर अवेरनेस डे’ है। उसमें भी बच्चों और महिलाओं को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को लेकर शिविर आयोजनों के जरिए जागरूक करने सिद्धी मिरानी तत्पर है। माउथ कैंसर तथा स्टमक कैंसर बाबत भी वे लोगों को जागरूक कर रही हैं। स्वाभाविक रूप से शिविरों में गणमान्य नागरिकों के द्वारा उन्हें विशेष सम्मान मिलता है। अपने इसी पवित्र अभियान के चलते भविष्य में छत्तीसगढ़, गुजरात तथा आल इंडिया में कैंसर जागरूकता के लिए सिद्धी की विशेष अभिनव योजना को क्रियान्वित करने की इच्छा है। एक खास बात दर्ज करना यह भी जरूरी है कि अभी तक सिद्धी मिरानी स्वयं के बलबूते से ही कैंसर जागरूक अभियान चला रही हैं। जिसकी गुजराती समाज व अन्य समाजों में भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है।
अंत में केवल इतना ही कि फूलों के लिए खुशबु का जो महत्व है, वही महत्व मनुष्य के लिए व्यक्तित्व का है। कम उम्र में ही अपने कड़वे शरीरिक अनुभव के बाद सिद्धी मिरानी का जो आंतरिक विकास हुआ है, जिसके कारण ही उनके जीवन में ताजगी और रूचि निरंतर प्रसर रही है। यही उनका व्यक्तिगत गुण है, जिसके फलस्वरूप वे एक विशिष्ट व्यक्तितत्व की महिला बनने में स्थान प्राप्त करने में सफल हुई हैं।
– दीपक बुद्धदेव