भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को देश की शीर्ष अदालत के दो नए न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस अरविंद कुमार की नियुक्ति के वारंट पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार सुबह 10.30 बजे शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में नए जजों को शामिल किया गया। शुक्रवार को कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्विटर पर सुप्रीम कोर्ट में नई नियुक्तियों की घोषणा की।
पूरी हुई सुप्रीम कोर्ट की क्षमता
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 31 जनवरी को पदोन्नति के लिए केंद्र को न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की थी। इससे पहले, पिछले हफ्ते पांच न्यायाधीशों ने अपनी पदोन्नति के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह के बाद, सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित 34 न्यायाधीशों की क्षमता पूरी हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट में रिटायरमेंट की उम्र है 65 साल
हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के सेवानिवृत्त होने की उम्र 62 साल है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की सेवानिवृत्त की उम्र 65 साल है। जस्टिस बिंदल का जन्म 16 अप्रैल, 1961 को हुआ था। इस साल अप्रैल में 62 साल के होने के बाद उन्हें पद छोड़ना था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में उनकी पदोन्नति के कारण अब उनका कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ गया है। वहीं, जस्टिस कुमार का जन्म 14 जुलाई, 1962 को हुआ था। वह जुलाई, 2023 में 61 साल के हो जाएंगे।
जस्टिस बिंदल 2021 में बने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
न्यायमूर्ति बिंदल ने 11 अक्टूबर, 2021 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला था। जस्टिस बिंदल ने 1985 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलबी किया और इसके बाद सितंबर, 1985 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में अपना करियर शुरू किया। उन्हें 22 मार्च, 2006 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, न्यायमूर्ति बिंदल ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान लगभग 80,000 मामलों का निपटारा किया है।
2021 में बनाए गए गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार का मूल कैडर कर्नाटक हाई कोर्ट है। जस्टिस कुमार ने 1987 में एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। इन्हें, 1999 में कर्नाटक हाई कोर्ट में एक अतिरिक्त केंद्र सरकार के स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद, इन्हें 2005 में भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया था। 26 जून, 2009 को कर्नाटक हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में इन्हें पदोन्नत किया गया था। इसके बाद, 7 दिसंबर, 2012 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। वह 13 अक्टूबर, 2021 से गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे।