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ग्लोबल वार्मिंग का क्या होगा दुनिया पर असर बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं में आएगी कमी स्टडी में बड़ा खुलासा

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जलवायु परिवर्तन (Climate change) से सूखा (Draught) और सामान्य से अधिक बारिश (Heavy Rain) व कुछ इलाकों में पानी की कमी की जैसी समस्याओं के साथ-साथ इन आपदाओं के घटने का अंतराल भी कम होता जाएगा. इसकी पुष्टि नेशनल एयरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) की अगुवाई में एक अध्ययन में की गई है. स्टडी में कहा गया है कि हमारी धरती के गर्म होने के साथ सूखा और बाढ़ जैसी आपदाएं बार-बार आएंगी और इसकी तबाही काफी ज्यादा होगी.अध्ययन में कहा गया कि वैज्ञानिकों ने इसका पूर्वानुमान लगाया है, लेकिन इनकी पहचान क्षेत्रीय और महाद्वीप के स्तर पर करना और साबित करना मुश्किल है.

जर्नल नेचर वाटर में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक अमेरिकी संस्था नासा के दो वैज्ञानिकों ने नासा/जर्मनी के उपग्रहों ग्रेस और ग्रेस-एफओ से पिछले 20 साल से मिले आंकड़ों का विश्लेषण गंभीर सूखे और बाढ़ की घटनाओं का अध्ययन करने के लिए किया.

अमेरिका में मौसम के परिवर्तन से हर साल काफी नुकसान

अध्ययन के मुताबिक अमेरिका में खराब मौसम से हर साल होने वाले आर्थिक नुकसान में 20 प्रतिशत क्षति बाढ़ और सूखे से होती है. आर्थिक नुकसान पूरी दुनिया में लगभग एक समान है, लेकिन जनहानि सबसे अधिक गरीब और विकासशील देशों में होती है. वैज्ञानिकों ने पाया कि पूरी दुनिया में बाढ़ और सूखे की तीव्रता जैसे इनसे होने वाला नुकसान, इन परिस्थितियों की अवधि और गंभीरता का संबंध ग्लोबल वार्मिंग से है. अध्ययन के मुताबिक साल 2015 से 2021 के बीच के 7 साल आधुनिक रिकॉर्ड रखने के दौरान दर्ज 9 सबसे गर्म सालों में हैं. इसी प्रकार अत्याधिक बारिश और सूखे के बार-बार आने का औसत भी बढ़कर प्रति वर्ष चार हो गया है, जबकि 13 साल पहले यह संख्या तीन प्रतिवर्ष थी.

अनुसंधान पत्र लेखकों ने कहा कि गर्म हवा होने की वजह से पृथ्वी की सतह से गर्मी के दिनों में अधिक इवापोरेशन होता है, क्योंकि गर्म हवा अधिक नमी सोख सकती है जिससे भीषण बारिश और बर्फबारी की आशंका बढ़ती है. नासा के वैज्ञानिक और अनुसंधान पत्र के सह लेखक मैट रोडेल ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन का विचार गूढ़ अर्थ लिए हुए हो सकता है. कुछ डिग्री तामपान में वृद्धि बड़ी समस्या नहीं लगती, लेकिन जल चक्र पर इसका बहुत अधिक प्रभाव है.’

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