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नीति आयोग सूचकांक: भारत में 5 साल में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए, जानें कौन राज्य टॉप और कौन फिसड्डी

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नीति आयोग ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023 रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार साल 2015-16 से 2019-21 के दौरान रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए हैं. उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है. इसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश का स्थान आया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बीच बहुआयामी गरीबों की संख्या में 24.85% से 14.96% की भारी गिरावट आई है.

इस रिपोर्ट का नाम ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांकः एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023’ है. इसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में सबसे तेज गिरावट 32.59% से घटकर 19.28% हो गई है. भारत 2030 की समय सीमा से बहुत पहले एसडीजी लक्ष्य 1.2 हासिल करने की राह पर है. रिपोर्ट की मानें तो जमीनी स्तर पर सभी 12 एमपीआई संकेतकों में पर्याप्त सुधार देखा गया है.

उत्तर प्रदेश में 3.43 करोड़ के साथ गरीबों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई, इसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश का स्थान है. पोषण में सुधार, स्कूली शिक्षा के वर्षों, स्वच्छता और खाना पकाने के ईंधन ने गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. राष्ट्रीय एमपीआई स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभावों को मापता है – जो 12 एसडीजी-संरेखित संकेतकों द्वारा दर्शाया गया है. इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं, सभी में उल्लेखनीय सुधार देखे गए हैं.

पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने स्वास्थ्य में अभावों को कम करने में योगदान प्रदान किया है. जबकि स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसी पहलों ने देशभर में स्वच्छता संबंधी सुधार किया है. स्वच्छता अभावों में इन प्रयासों के प्रभाव के परिणामस्वरूप तेजी से और स्पष्ट रूप से 21.8% अंकों का सुधार हुआ है. प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के माध्यम से सब्सिडी वाली रसोई गैस के प्रावधान ने जीवन को सकारात्मक रूप से बदल दिया है. रसोई गैस की कमी में 14.6% अंकों का सुधार हुआ है.

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