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16 साल की देरी के बाद रिटायर सरकारी कर्मचारी को मिलेगी ग्रेच्युटी, कर्नाटक HC का यह अहम आदेश जरूर पढ़ना चाहिए..

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कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High court) ने राज्य सरकार के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को ब्याज सहित ग्रेच्युटी (Gratuity) का भुगतान करने का निर्देश दिया है, जिसे 16 वर्षों से ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया गया था. 9 अगस्त को पारित और हाल ही में उपलब्ध हुए आदेश में, न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की एकल-न्यायाधीश पीठ ने करीब दो दशकों तक “संवेदनहीनता” के लिए सरकार की खिंचाई की. बेलगाम में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कार्यरत याचिकाकर्ता ने अपने पक्ष में रिट के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. वह 1973 में एक क्लर्क के रूप में कॉलेज में शामिल हुए और सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंचने के 34 साल बाद सेवानिवृत्त हो गए.

उनकी ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं होने के बाद, 2012 में संबंधित प्राधिकारी से उनके पक्ष में एक आदेश आया, जिसमें कहा गया था कि उन्हें 10 प्रतिशत ब्याज के साथ 4,09,550 रुपये का भुगतान करना होगा.

इंडियन एक्‍सप्रेस की खबर के अनुसार, पीठ ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को 2012 में निर्धारित राशि पर 10 फीसदी ब्याज के साथ ग्रेच्युटी मिलनी होगी. आगे यह निर्धारित किया गया कि अदालत के आदेश के 30वें दिन से अधिक देरी के मामले में, राज्य को ब्याज के अलावा याचिकाकर्ता को प्रतिदिन 1000 रुपये का जुर्माना देना होगा.
वर्तमान मामला 2014 से उच्च न्यायालय के समक्ष चल रहा है, क्योंकि उसे राशि का भुगतान नहीं किया गया था. मामले पर नरम रुख अपनाते हुए पीठ ने कहा, “यह सामान्य बात है कि ग्रेच्युटी कोई इनाम नहीं है, जिसे नियोक्ता की इच्छा या मनमर्जी से रोका जा सकता है. राज्य द्वारा पिछले 16 वर्षों से अपने कर्मचारियों के साथ ग्रेच्युटी, टर्मिनल लाभ का भुगतान न करने का व्यवहार नागरिकों, विशेष रूप से सेवानिवृत्त कर्मचारियों के प्रति उदासीनता को दर्शाता है, जिनकी आवाज उम्र बढ़ने के साथ कमजोर हो गई है और इसलिए राज्य ऐसी आवाजें नहीं सुनती है. इस प्रकार संवेदनहीनता एक या दो साल के लिए नहीं बल्कि लगभग 2 दशकों के लिए प्रदर्शित की गई है.”

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