तेलंगाना में 30 नवंबर की शाम विधानसभा चुनावों की वोटिंग खत्म होने के बाद तमाम टीवी चैनल्स हालिया 05 विधानसभा चुनावों को लेकर एग्जिट पोल रिजल्ट के दावे शुरू कर देंगे. ये विधानसभा चुनाव राजस्थान, मध्य प्रदेश, मिजोरम, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में हो रहे हैं. वोटिंग का काम अलग अलग चरणों में नवंबर माह में शुरू हुआ. अब ये अपने आखिरी चरण में पहुंच चुका है. 03 दिसंबर को इन चुनावों में वोटों की काउंटिंग के बाद आधिकारिक तौर पर नतीजे आएंगे.
क्या आपको मालूम है कि किस समय आखिर एक्जिट पोल दिखाने की अनुमति भारतीय चुनाव आयोग द्वारा दी जाती है. क्योंकि इसका बकायदे एक नियम है. कोई भी टीवी चैनल उसका उल्लंघन नहीं कर सकता. चुनाव आयोग की इस हरी झंडी के बाद ही वो एग्जिट पोल के रिजल्ट्स के बारे में बताना शुरू करते हैं. इससे पहले वो केवल चुनावों को लेकर जनरल बातें बताते रहते हैं.
एग्जिट पोल असल में रुझानों के जरिए निष्कर्ष निकालने की कोशिश होती है. लोगों से बातचीत करके अंदाज लगाया जाता है कि नतीजे किधर की ओर जा सकते हैं. इसके जरिए अनुमान लगाया जाता है कि कौन सा सियासी दल कहां जीत रहा है और कौन कहां पीछे होगा. हालांकि इनके खरे उतरने को लेकर हमेशा शक रहा है.
क्या है एग्जिट पोल को लेकर चुनाव आयोग का नियम
चुनाव आयोग ने नियम बना रखा है कि आखिरी चरण की वोटिंग के पहले एग्जिट पोल के जरिए अनुमानित नतीजों का ट्रेंड नहीं बताया जा सकता. आखिरी चरण की वोटिंग के बाद चुनाव आयोग जब शाम को आधिकारिक तौर पर बतायेगा कि आखिर चरण में कितना मतदान हुआ, उसके बाद टीवी चैनल्स और कुछ समाचार साइट्स एग्जिट पोल के वो नतीजे देने लगेंगे, जो उन्होंने खुद या एजेंसियों के जरिए कराए हैं.
चूंकि एग्जिट पोल की सटीकता पर हमेशा ही सवाल उठते हैं लिहाजा ये सवाल उठना स्वाभाविक है कि ये एग्जिट पोल्स क्या होते हैं और चुनाव परिणामों को लेकर वो जो अनुमान लगाते हैं, वो कितने सटीक होते हैं.
एग्जिट पोल्स क्या होते हैं और वो कैसे किए जाते हैं?
– एग्जिट पोल्स वोट करके पोलिंग बूथ के बाहर आए लोगों से बातचीत या उनके रुझानों पर आधारित हैं. इनके जरिए अनुमान लगाया जाता है कि नतीजों का झुकाव किस ओर है. इसमें बड़े पैमाने पर वोटरों से बात की जाती है. इसे कंडक्ट करने का काम आजकल कई ऑर्गनाइजेशन कर रहे हैं.