बचपन से लेकर आज तक आपने भारतीय नोटों को कई रूप और रंगों में देखा होगा. हर दौर में भारतीय नोट बदले हैं. एक वक्त था जब 1, 2 और 5 रुपये के नोट चलते थे लेकिन अब उनकी जगह सिक्कों ने ले ली है. 10, 20, 50 और 100 रुपये के नोट की शक्ल और साइज भी काफी बदल गई है. लेकिन, क्या आप जानते हैं भारत में कागजी नोटों की शुरुआत कब हुई. कागजी मुद्रा आने से पहले सिक्कों में लेनदेन हुआ करता था.
भारत में कागजी रुपयों का इतिहास करीब 150 साल पुराना है. RBI की साइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, कागजी मुद्रा की शुरुआत 18वीं शताब्दी के अंत में हुई थी. आइये आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं भारतीय कागजी नोटों का इतिहास
पहला कागजी नोट कौन-सा था?कागजी रुपयों की शुरुआत अंग्रेजों के जमाने में हो गई थी. पहला भारतीय मुद्रा नोट भारत सरकार ने पेश किया था, न कि रिज़र्व बैंक द्वारा ने, भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1938 में करेंसी नोट जारी करने का कार्य अपने हाथ में ले लिया. 18वीं शताब्दी में, बंगाल में बैंक ऑफ हिंदोस्तान जनरल बैंक और बंगाल बैंक ने भारत में कागजी मुद्रा जारी की, जो देश में पहली पेपर मनी थी. 1861 में पेपर करेंसी एक्ट आया और कागजी मुद्रा का प्रबंधन मिंट मास्टर्स, महालेखाकारों और मुद्रा नियंत्रक को सौंपा गया. पहला कागजी मुद्रा नोट, यानी 10 रुपये का नोट, भारत सरकार द्वारा वर्ष 1861 में पेश किया गया था.
18वीं से 19वीं सदी तक आते रहे ये कागजी नोट -1872 में 5 रुपये का नोट– 1899 में 10,000 रुपये का नोट– 1900 में 100 रुपये का नोट– 1905 में 50 रुपये का नोट– 1907 में 500 रुपये का नोट– 1909 में 1000 रुपये का नोट– 1917 में 1 रुपये और 2.5 रुपये के नोट
पहले नोट पर किसकी तस्वीर हुआ करती थीये सभी नोट भारत सरकार द्वारा जारी किए गए थे. भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1938 में भारतीय मुद्रा नोट जारी करना शुरू किया. RBI ने 1938 में जॉर्ज VI के चित्र वाला पहला 5 रुपये का नोट जारी किया था. 2 रुपये, 10 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोट आए. 10,000 रुपये के नोटों को 1946 में वापस ले लिया गया था. हालांकि, 1949 में 5000 रुपये के नोटों के साथ फिर से शुरू किया गया और 1978 में इसे फिर से बंद कर दिया गया.