Home देश सेंसर बोर्ड से ज्‍यादा सेंसरशिप की जरूरत नहीं… हाईकोर्ट ने क‍िस बॉलीवुड...

सेंसर बोर्ड से ज्‍यादा सेंसरशिप की जरूरत नहीं… हाईकोर्ट ने क‍िस बॉलीवुड फ‍िल्‍म की र‍िलीज को लेकर की यह ट‍िप्‍पणी

32
0

फिल्म आंख मिचौली पर दिव्यांग लोगों का मजाक बनाने का आरोप लगाने वाली याचिका को दिल्ली द‍िल्‍ली हाईकोर्ट ने खारिज कर द‍िया है. हाईकोर्ट ने कहा कि हमारा देश में फ‍िल्म को रिलीज होने से पहले उसे सेंसर बोर्ड से पास होना होता है. उससे ज्‍यादा सेंसरशिप की जरूरत नहीं है. एक फिल्मकार की रचनात्मक स्वतंत्रता का सम्मान किए जाने की जरूरत है.

हाईकोर्ट ने कहा कि हर विषय को देखने के दो पहलू हो सकते है जरूरत है कि फिल्म को देखते हुए ज्‍यादा भावुक होने से बचे. वैसे भी जब सेंसर बोर्ड फिल्म को पास कर चुका है तो कोर्ट के दखल की गुजाइश कम ही बनती है.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि कुछ सामग्री के अपमानजनक होने की संभावना के बावजूद, सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए बुराइयों के अस्तित्व को स्वीकार करने की आवश्यकता है. कोर्ट ने ट‍िप्‍पणी की क‍ि रचनात्मक स्वतंत्रता एक ऐसी चीज है जिसे हमें संजोना चाहिए. इसे कम करने की कोई जरूरत नहीं है. कभी-कभी यह मूर्खतापूर्ण हो सकता है लेकिन इसे वहीं छोड़ दें. किसी विषय पर दो राय हो सकती हैं लेकिन साहसी दिमाग से फिल्म देखें. ऐसा न करें इसे संवेदनशील दिमाग से देखें.

दिव्यांग वकील निपुण मल्होत्रा ने दिल्ली हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि 2023 में रिलीज हुई इस फिल्म में अल्जाइमर से पीड़ित एक पिता के लिए ‘भुलक्कड़ बाप’, मूक बधिर के लिए ‘साउंड प्रूफ सिस्टम’, हकलाने वाले शख्श के लिए ‘अटकी हुई कैसेट’ जैसे अपमाजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है. याचिका में कोर्ट से मांग ली गई थी कि वह इस फ‍िल्म के निर्माता सोनी पिक्चर को निर्देश दे कि वो दिव्यांग लोगों द्वारा झेली जाने वाली दिक्कतों के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए शार्ट मूवी बनाए.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here