सनातन धर्म में अक्षय तृतीया तिथि का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया हर प्रकार से शुभ माना जाता है. इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन पूजा पाठ का भी विशेष लाभ मिलता है. इस दिन लक्ष्मी माता और भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. अक्षय तृतीया के दिन कई पौराणिक घटनाएं हुई थी. इसीलिए इस दिन के अबूझ मुहूर्त का इंतजार लोग पूरे साल करते हैं. राजधानी रायपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने लोकल18 को बताया है कि इस दिन क्या करना चाहिए और या नहीं करना चाहिए.
त्रेतायुग का हुआ था आरंभ
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि तृतीया तिथि पर किया गया कार्य, जिसका क्षय न हो यानी अक्षय हो, उसी तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है. अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. शास्त्रों और पुराणों के अनुसार इसी तिथि के दिन त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था. इस दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम जी का अवतरण हुआ था. इसलिए इस दिन को भगवान परशुराम के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस तिथि को विशेषकर धर्म, पुण्य का किया गया कार्य अक्षय हो जाता है.
इस दिन मनाया जाएगा अक्षय तृतीया
पंडित मनोज शुक्ला ने Local18 को आगे बताया कि इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई को मनाया जाएगा. ध्यान रहे कि इस दिन कोई पाप कर्म, अशुभ कर्म न हो, हमारे हाथ से कोई बुरा कार्य न हो, जिसका कई गुना फल हमको भुगतना करना पड़े. इसी कारण लोग अक्षय तृतीया पर जीवन में हमेशा शीतलता के लिए घट दान करते हैं. इस दिन दान पुण्य का विशेष फल माना गया है. इसके अलावा इस दिन आप भगवान भोलेनाथ पर जल अर्पित कर पूजा कर सकते हैं. छत्तीसगढ़ के प्रथा के अनुसार इस दिन मिट्टी के बने गुड्डे-गुड़ियों की शादी की जाती है. इसका तात्पर्य बच्चों को छत्तीसगढ़ की प्रथा परंपरा और संस्कृति को बोध करना होता है.