अमीरी और गरीबी की बढ़ती खाई यानी आर्थिक असमानता को कम करने के लिए रिच टैक्स की बात अक्सर उठती रहती है. कई अर्थशास्त्री रिच टैक्स यानी धनाढ्य लोगों पर अलग से टैक्स लगाने की पैरवी करते हैं. भारत में भी लोकसभा चुनाव के बीच इस तरह की बातें उठी हैं. इस बीच रूस ने रिच टैक्स लगाने की प्रक्रिया पर काम भी शुरू कर दिया है.
वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव पर मुहर
रूस के वित्त मंत्रालय ने बीते दिनों टैक्स पर नया प्रस्ताव तैयार किया था. प्रस्ताव में इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स का नया स्ट्रक्चर सुझाया गया था. उसमें अमीर लोगों पर टैक्स बढ़ाने और कॉरपोरेट टैक्स की दरें बढ़ाने जैसे प्रस्ताव हैं. मंत्रालय के प्रस्ताव पर एक सरकारी आयोग ने इसी सप्ताह बुधवार को मुहर लगा दी. इसके बाद प्रस्तावित बदलावों के अमल में आने का रास्ता साफ हो गया है.
लागू होने से खजाने को इतना लाभ
आयोग की मंजूरी के बाद वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव अगले साल से अमल में लाए जाएंगे. ऐसा अनुमान है कि टैक्स की नई संरचना से रूस की सरकार के खजाने में अतिरिक्त 2.6 ट्रिलियन रूबल यानी लगभग 29 बिलियन डॉलर आएंगे.
इस तरह बढ़ जाएंगी टैक्स की दरें
अभी रूस में टैक्स की दरें कम हैं. ज्यादातर लोगों को 13 फीसदी की दर से इनकम टैक्स भरना होता है. ज्यादा कमाने वाले कुछ लोगों के लिए इनकम टैक्स की दरें 15 फीसदी हैं. नए प्रस्ताव के अमल में आने के बाद 27 हजार डॉलर तक की कमाई वाले लोगों के लिए टैक्स की दर 13 फीसदी ही रहेगी, लेकिन 5.60 लाख डॉलर से ज्यादा कमाई वालों को 22 फीसदी तक टैक्स भरना पड़ सकता है.
इतना बढा रूस का सैन्य खर्च
बताया जा रहा है कि रूस टैक्सेशन में यह बदलाव युद्ध के चलते बढ़े खर्च की पूर्ति के लिए कर रहा है. रूस ने 24 फरवरी 2022 को अपने पड़ोसी देश यूक्रेन पर हमला बोल दिया था. उसके बाद से पूर्वी यूरोप के दोनों देश युद्ध कर रहे हैं. यानी दोनों देशों के बीच दो साल से ज्यादा समय से युद्ध चल रहा है. इसके चलते रूस के खजाने पर दबाव बढ़ा है. अभी रूस का सैन्य खर्च उसकी जीडीपी के 6 फीसदी से पार निकल गया है. इसके चलते रूस खजाने को भरने के नए तरीकों पर काम कर रहा है.