लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में बिहार की आठ सीटों-पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, काराकाट, सासाराम, जहानाबाद और नालंदा संसदीय क्षेत्र में चुनाव होना है. इसे लेकर बिहार के तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. एक ओर जहां एनडीए ने पिछली बार की जीती हुई आठों सीटों को बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है तो वहीं दूसरी तरफ INDI गठबंधन ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है. लेकिन, इन आठों सीटों पर जीत हार तय करने का समीकरण काफी दिलचस्प है. जानकार कहते हैं कि इन सीटों के इस खास समीकरण को जो भी अपने पाले में कर लेगा वही बाजी मार लेगा.
पटना साहिब सीट में रविशंकर प्रसाद और अंशुल अविजीत की लड़ाई- बीजेपी की सबसे मजबूत मानी जानी वाली पटना साहिब लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस ने मीरा कुमार के पुत्र अंशुल अविजीत को मैदान में उतारा है. जानकार कहते हैं कि अविजित दलित वोट बैंक के साथ साथ कुशवाहा वोटरों और MY यानी मुस्लिम-यादव समीकरण के वोट के सहारे मैदान में उतरे हैं. वहीं दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद डबल इंजन सरकार के विकास कार्यों के साथ मैदान में हैं. सवर्ण उम्मीदवार वाली सीट पर, खासकर कायस्थ बाहुल्य मानी जानी वाली पटना साहिब सीट पर एक बार फिर से किस्मत आजमा रहे हैं.
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर यादवों के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई
लालू यादव की बेटी मीसा भारती अपनी पिछले हार को भूल पाटलिपुत्र सीट पर कब्जा जमाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. अपनी ओर से भरपूर मेहनत कर रही मीसा के सामने वर्तमान सांसद रामकृपाल यादव की कड़ी और बड़ी चुनौती है. पाटलिपुत्र सीट पर दोनों उम्मीदवार यादव जाति से आते हैं, वहीं इस सीट पर भूमिहार वोटरों के साथ-साथ लव कुश यानी कुर्मी-कोयरी समीकरण और अति पिछड़े मतदाताओं के साथ दलित वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. बीजेपी उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद को जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फैक्टर और नीतीश कुमार के विकास के कार्यों पर भरोसा है, वहीं दूसरी तरफ एनडीए के कोर वोटर के साथ-साथ यादव वोटरों पर भी नजर है. मीसा भारती आरजेडी के MY समीकरण के साथ-साथ कुशवाहा और माले के कोर वोटर के सहारे जीत हासिल करने की जुगत लगा रही हैं.
आरा लोकसभा सीट पर आरके सिंह के सामने सुदामा प्रसाद
आरा सीट पर केंद्र में मंत्री आर के सिंह अपने विकास कार्यों के साथ साथ PM और CM के विकास कार्यों पर वोट मांग रहे हैं. वहीं, उन्हें एनडीए के कोर वोटर के साथ साथ दूसरी जातियों के वोट बैंक खासकर कुशवाहा और वैश्य वोटर पर भी नजर है, क्योंकि माले के उम्मीदवार सुदामा प्रसाद वैश्य समाज से ही आते हैं जो एनडीए के कोर वोटर माने जाते हैं. इसके टूटने या बिखराव का खतरा बीजेपी के विरोध में बढ़ गया है. वहीं, माले उम्मीदवार को आरजेडी के MY समीकरण के साथ- साथ माले के कैडर वोट पर भी नजर है.
बक्सर लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई में फंसे मिथिलेश तिवारी
बक्सर की सीट पर लड़ाई दिलचस्प है जहां एनडीए से मिथिलेश तिवारी मैदान में हैं, वहीं उन्हें आरजेडी के सुधाकर सिंह टक्कर दे रहे हैं. लेकिन, बक्सर के मुक़ाबले में कांटा तब फंस गया है जब दो निर्दलीय उम्मीदवार ने एनडीए और आरजेडी के वोट बैंक में सेंघ लगा परेशानी बढ़ा दी है. बीजेपी उम्मीदवार जो ब्राह्मण समाज से आते हैं, उनकी परेशानी आनंद मिश्रा निर्दलीय उम्मीदवार ने बढ़ा रखी है. वह भी ब्राह्मण समुदाय से ही आते हैं. वहीं, दूसरी तरफ ददन यादव ने सुधाकर सिंह की परेशानी बढ़ा रखी है, ऐसे में जो उम्मीदवार अपने कोर वोटर को साधने में सफल हो जाएंगे वही बाजी मारेंगे.