लोकसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सबसे बड़ा गठबंधन बनकर उभरा है. जिसने आसानी से 272 के बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया. जबकि भगवा पार्टी अपने दम पर 370 सीटें और अपने सहयोगियों के साथ 400 से अधिक सीटें जीतने के अपने लक्ष्य से काफी पीछे रह गई. नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार पीएम बनने की प्रबल संभावना है. इस चुनाव के नतीजे को लेकर विदेशी मीडिया ने रोचक रिएक्शन दिए है. सबसे ज्यादा खुशी तो पाकिस्तान और चीन की मीडिया में देखी गई है. जबकि अमेरिकी मीडिया ने इस पर संतुलित राय रखी है.
पाकिस्तान के अखबार ‘डॉन’ की बेवसाइट पर भारत के चुनाव को बड़ी कवरेज दी गई है. उसके एक लेख में कहा गया कि भारत में वोटों की गिनती में पीएम मोदी का गठबंधन आश्चर्यजनक रूप से मामूली अंतर से जीता है. भाजपा की अयोध्या में ही हार हो गई, जहां राम मंदिर का उद्घाटन किया गया था. वहीं राहुल गांधी के बयान को प्रमुखता दी गई है कि मतदाताओं ने भाजपा को दंड दिया है. डॉन ने यह भी कहा कि मोदी के हिंदू राष्ट्रवादियों की तीसरी बार जीत से भारत के मुसलमानों में डर फिर बढ़ेगा. वहीं एक लेख में विस्तार से बताया गया कि पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल का दुनिया के लिए क्या मतलब है.
वहीं चीन के ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने कहा कि मोदी के गठबंधन की मामूली अंतर से जीत हुई है. अब आर्थिक सुधार उनके तीसरे कार्यकाल में एक कठिन मिशन बन जाएगा. चीनी एक्सपर्ट्स ने कहा कि हालांकि अब मोदी की चीनी विनिर्माण के साथ प्रतिस्पर्धा करने और भारत के कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने की महत्वाकांक्षा को पूरा करना मुश्किल होगा. जबकि ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने कहा कि नतीजों से बीजेपी के लिए समर्थन घटा है. जिसने दशकों में सबसे असरदार भारतीय राजनेता मोदी की अजेय होने की इमेज को नुकसान पहुंचाया है.
‘द गार्जियन’ ने कहा कि नरेंद्र मोदी सत्ता में तीसरी बार आने के लिए तैयार दिख रहे हैं. मगर चुनाव नतीजों से पता चला है कि उसने शानदार जीत हासिल नहीं की है. विपक्षी गठबंधन उम्मीदों से कहीं बेहतर प्रदर्शन करता दिखाई दिया. वहीं ‘टाइम्स’ ने लिखा कि पीएम मोदी के खराब प्रदर्शन के राजनीतिक नतीजे होंगे. कम से कम, भाजपा को अपने मौजूदा बहुदलीय गठबंधन के छोटे सदस्यों पर अधिक निर्भर रहना होगा. उनमें से दो मोदी के ‘हिंदू-फर्स्ट’ एजेंडे का समर्थन नहीं करते हैं. वहीं ‘अल जजीरा’ ने लिखा कि पीएम मोदी की भाजपा ने भारत में चुनाव में बहुमत खो दिया है. उसे सरकार बनाने के लिए सहयोगियों की जरूरत है. एग्जिट पोल को धता बताते हुए विपक्षी दलों ने महत्वपूर्ण राज्यों में भाजपा को चौंका दिया, जिससे भारत का राजनीतिक नजारा बदल गया.