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देवेंद्र फडणवीस ने ली भाजपा की हार की जिम्मेदारी, डिप्टी सीएम पद से इस्तीफे की पेशकश की…

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देवेंद्र फडणवीस ने ली भाजपा की हार की जिम्मेदारी, डिप्टी सीएम पद से इस्तीफे की पेशकश की

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भाजपा और कांग्रेस समेत तमाम दलों में हलचल तेज है। भले ही भाजपा समेत किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला हो, लेकिन दोनों पक्ष सरकार बनाने की कवायद में जुट गए हैं।

आइएनडीआइए में भी आवाज उठ रही है कि विपक्ष को सरकार बनाने की कोशिश करना चाहिए।

अब कांग्रेस सरकार बनाने की कवायद करेगी या विपक्ष में बैठेंगे, इस पर आज शाम फैसला हो जाएगा। शाम को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के निवास पर आइएनडीआइए गठबंधन के 27 दलों की बैठक होना है।

बैठक में कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ ही शरद पवार, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, तेजस्वी यादव मौजूद रहेंगे। ममता बनर्जी नहीं आ रही हैं, लेकिन उनके स्थान पर भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी मौजूद रहेंगे।

देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद से इस्तीफे की पेशकश की
महाराष्ट्र में सियासी घमासान तेज है। खबर है कि देवेंद्र फडणवीस ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए डिप्टी सीएम पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी है। पार्टी की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

क्या महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे करेंगे बड़ा खेलामहाराष्ट्र से खबर है कि यहां उद्धव ठाकरे बड़ा खेल कर सकते हैं। शिंदे गुट के 7 सांसद जीतकर आए हैं। इनमें से कुछ के उद्धव ठाकरे से सम्पर्क होने की आशंका है।

संजय राउत बोले – हमारे पास सरकार बनाने का जनादेश
शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने कहा, भाजपा को बहुमत नहीं मिला है। उन्हें लगभग 235-240 सीटें मिली हैं

वे मोदी की सरकार लाने की बात कर रहे थे। कहां है मोदी सरकार? चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की बैसाखी से अगर एनडीए सरकार बनी, तो वह कभी भी गिर सकती है। बीजेपी ने अपना सम्मान खो दिया है। हमें ऐसा प्रधानमंत्री नहीं चाहिए जिसने अपना सम्मान खो दिया हो। मोदी ब्रांड खत्म हो गया है।

बीजेपी ने जो सीटें जीती हैं, वे सभी ईडी, सीबीआई और आईटी के कारण जीती हैं। अगर वे सरकार बनाने जा रहे हैं तो उन्हें बनने दीजिए। हम इसका स्वागत करते हैं, क्योंकि यह एक लोकतंत्र है।

उन्हें सरकार बनाने का अधिकार है, लेकिन फिर भी हमारे पास आवश्यक संख्या है। लोगों ने हमें 250 सीटें दी हैं और हमारे पास सरकार बनाने का जनादेश है। अगर चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार तय करते हैं कि वे एक तानाशाह का समर्थन नहीं करना चाहते हैं और लोकतंत्र के साथ खड़े होना चाहते हैं, तो क्या होगा क्या वे ऐसा करेंगे?’

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