मोदी सरकार 3.0 के गठन की प्रक्रिया तेज हो गयी है. बैठकों का दौर लगातार जारी है. 8 जून को शपथ ग्रहण समारोह है, लेकिन इससे पहले सबसे बड़ा विषय कैबिनेट है, जिसे लेकर मंथन शुरू हो चुका है. सहयोगी दल सीटों के अनुसार कैबिनेट में अपनी-अपनी हिस्सेदारी और मनपंसद मंत्रालय मांग रहे हैं. अगर सहयोगी दलों की चली तो भाजपा के हाथ से कौन-कौन से महत्वपूर्ण मंत्रालय निकल सकते हैं? जानें.
भाजपा सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाने जा रही है. चूंकि इस बार एनडीए को बहुमत मिला है लेकिन भाजपा ने अकेले दम पर बहुमत का आंकड़ा नहीं छुआ है. 2014 और 2019 में भाजपा के अपने दम पर ही बहुमत का आंकड़ा पार कर दिया था. इस वजह से सहयोगी दल किसी भी तरह की कैबिनेट और मनपसंद मंत्रालय की मांग पर अड़े नहीं थे. लेकिन इस बार स्थितियां विपरीत हैं. बगैर गठबंधन के मोदी सरकार नहीं बन रही है इसलिए सहयोगी दलों ने मांग शुरू कर दी है. मीडिया रिपोर्ट के हवाले से सबसे ज्यादा मांग बिहार आ रही है. बताया जा रहा है कि जेडीयू के अलावा लोजपा-आर और हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा ने मनपसंद मंत्रालय की मांग रखी है.
किन दल ने कौन से मंत्रालय की मांग की
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जेडीयू की ओर से पांच कैबिनेट और राज्य मंत्री की मांग की गयी है. इनमें से तीन मंत्रालय भी बताए गए हैं. रेल, कोयला और स्टील मंत्रालय शामिल हैं. वहीं, लोजपा-आर की ओर से कैनिबेट और राज्य मंत्री और रेल मंत्रालय की बात की जा रही है. इसके अलावा हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा ने एक कैबिनेट मंत्री और सोशल जस्टिस मंत्रालय की मांगा है. इस तरह सबसे ज्यादा मांग बिहार की पार्टियों से आयी हैं. वहीं, जेडीएस द्वारा कृषि मंत्रालय की मांग की खबर आ रही है. रिपोर्ट के अनुसार अन्य सहयोगी दलों द्वारा सड़क परिवहन मंत्रालय समेत कई अन्य मंत्रालयों की मांग की जा रही है.
मीडिया के हवाले से अगर सहयोगी दलों की चली तो भाजपा के पास महत्वपूर्ण मंत्रालय में केवल किचन कैबिनेट ही बचेगी. किचन कैबिनेट में गृह, वित्त, रक्षा, विदेश और सूचना प्रसारण मंत्रालय माने जाते हैं. हालांकि सड़क परिवहन, कृषि और रेल मंत्रालय भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं, जो सहयोगी दलों के पास जा सकते हैं.