इंडिया ब्लाक में 234 सांसद रहते और कांग्रेस के पिछले दो लोकसभा चुनावों से इस बार बेहतर परफार्मेंस के बावजूद राहुल गांधी अगर पीएम नहीं बन पाए तो इसके लिए एकमात्र लालू प्रसाद यादव जिम्मेवार हैं। लालू ने ठीक से संभाला होता तो नीतीश कुमार एनडीए में नहीं जाते। तब शायद टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू का भी मन बदल सकता…
पटनाः नरेंद्र मोदी को तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेते देख इंडिया ब्लॉक के नेताओं के सीने पर यकीनन सांप लोट गया होगा। खासकर कांग्रेस के हाथ आया एक बड़ा अवसर निकल गया। एनडीए में सब कुछ ठीक रहा तो कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को अब पांच साल बाद ही ऐसा मौका मिलेगा। किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में अनुमान लगाया जा रहा था कि इंडिया ब्लॉक परिस्थितियों को अपने अनुकूल ढालने में कामयाब हो जाएगा। इसके लिए उसने कोशिशें भी कीं। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को उनके करीबी विपक्षी नेताओं ने.
अभियान में शामिल किया। पहली बैठक भी ममता बनर्जी की सलाह पर नीतीश ने पटना में रखी। नीतीश के प्रयास की खासियत यह रही कि उन्होंने कांग्रेस से खार खाए दो नेताओं को एक टेबल पर बैठने के लिए राजी कर लिया। उनमें एक दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल थे तो दूसरी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी थीं। दोनों की कांग्रेस से पुरानी रंजिश रही है। नीतीश के आग्रह पर ये दोनों भी पटना की बैठक में शामिल हुए और बाद की बैठकों में भी शामिल होते रहे। चूंकि नीतीश ने विपक्षी दलों के संयोजन..