नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री की शपथ लेने के बाद से ही एस जयशंकर काम में जुट गए हैं. मोदी सरकार में फिलहाल मंत्रालयों का बंटवारा नहीं हुआ है, लेकिन उससे पहले ही जयशंकर बतौर विदेश मंत्री अपनी जिम्मेदारियां निभाने लगे हैं. जयशंकर ने सोमवार को मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से दिल्ली में मुलाकात की.
जयशंकर के साथ मुइज्जू की इस मुलाकात से चीन से टेंशन बढ़ सकती है. इसकी एक बानगी मुइज्जू से मुलाकात के बाद जयशंकर के किए पोस्ट में भी दिखती है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफार्म एक्स पर लिखा, ‘आज नई दिल्ली में मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू से मुलाकात करके बहुत खुशी हुई. भारत और मालदीव के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद है.’
चीन समर्थक मुइज्जू के रुख में आ रही नरमी
मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है और मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने कहा था कि वह अपने देश में भारत के प्रभाव को कम करने पर काम करेंगे. मुइज्जू ने फिर कई ऐसे कदम उठाए जो भारतीय हितों के खिलाफ थे. इस कारण से भारत और मालदीव के रिश्तों में कड़वाहट भी आ गई. हालांकि पीएम मोदी का तीसरा कार्यकाल शुरू होने से पहले ही मुइज्जू के रुख में नरमी आती दिखी और वह नई सरकार के शपथ ग्रहण में बतौर मेहमान शरीक भी हुए.
भारत के पड़ोस में पैठ बना रहा चीन
चीन दरअसल भारत के तमाम पड़ोसी देशों में अपनी पैठ बनाने में जुटा है. वहीं पूर्वी लद्दाख के गलवान में भारतीय और चीनी सेना के बीच हुए झड़प के बाद भारत और चीन के आपसी संबंधों में दरार भी पड़ गई. ऐसे में भारत से मालदीव की करीबी का मतलब होगा चीन से दूरी और बतौर विदेश मंत्री जयशंकर भी मुइज्जू को उसी रास्ते पर ले जाने की कोशिश में जुटे हैं.