नीट को लेकर देश भर में मचे हंगामे के बीच एक समिति ने चौंकाने वाली सिफारिश की है. समिति ने सरकार से आग्रह किया है कि नीट परीक्षा समाप्त की जाए और उम्मीदवारों को उनके 12वीं के अंकों के आधार पर एमबीबीएस समेत अन्य मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन दिया जाए. समिति की इस रिपोर्ट के बाद हर तरफ यह चर्चा का विषय बन गया है कि क्या सच में मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन 12वीं के अंकों के आधार पर होने चाहिए.
2021 में सरकार ने बनाई थी समिति
दरअसल, तमिलनाडु में द्रविड मुनेत्र कड़गम (DMK) ने सत्ता में आने के बाद वर्ष 2021 में नीट आधारित प्रवेश प्रक्रिया के असर के अध्ययन के लिए एक समिति का गठन किया था. इस समिति का अध्यक्ष मद्रास हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस ए.के. राजन को बनाया गया था. अब समिति ने इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. समिति का कहना है कि यह रिपोर्ट छात्रों, अभिभावकों व जनता से प्राप्त सुझावों और विभिन्न स्रोतों से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है.
क्या है समिति की रिपोर्ट
समिति के अध्यक्ष व रिटायर्ड जज ए.के. राजन ने तमिलनाडु सरकार से नीट परीक्षा खत्म करने की सिफारिश की है. उन्होंने सरकार से नीट समाप्त करने के लिए जल्द कदम उठाने को कहा है. जस्टिस ने सरकार से आग्रह किया है कि वह नीट परीक्षा खत्म करने के लिए विधायी प्रक्रिया अपनाए. रिटायर्ड जज ए.के. राजन का सुझाव है कि सरकार को सिर्फ 12वीं परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर ही एमबीबीएस समेत अन्य मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन देना चाहिए.
सीएम ने कहा- हमने पहले भांप लिया था
समिति की रिपोर्ट आने के बाद तमिलनाडु के सीएम और डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि डीएमके ने सबसे पहले नीट के खतरों को भांप लिया था और इसके विरुद्ध बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था. स्टालिन ने समिति की रिपोर्ट दूसरी भाषाओं में भी शेयर की है.