कुवैत (Kuwait) में पिछले दिनों हुई एक घटना में करीब 50 भारतीयों की मौत हो गई. इस सूचना के साथ ही एक सवाल भी लोगों के जेहन में उभरने लगा है कि आखिर क्यों भारतीयों के मन में खाड़ी देशों का इतना लालच होता है. कुवैत या सऊदी अरब जाकर क्यों भारतीय नौकरी करना चाहते हैं और दिरहम व दिनार जैसी अरबियन करेंसी के इतने दीवाने क्यों होते हैं. आज हम आपको इन दोनों देशों की करेंसी और उसके भारतीय मूल्य के बारे में बताएंगे कि वहां के एक रुपये की करेंसी की कीमत भारत में कितनी हो जाती है.
सबसे पहले हम आपको यह बता दें कि कुवैत की करेंसी जिसे कुवैती दिनार कहा जाता है, यह दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी माने जाने वाले डॉलर और यूरो को भी पानी पिलाने की कूवत रखती है. आप एक लाइन में यह समझ लीजिए कि कुवैती दिनार मूल्य के मामले में पूरी दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी मानी जाती है. वहीं, सऊदी अरब में चलने वाली दिरहम भी भारत के मुकाबले कई गुना मूल्य की करेंसी होती है.
एक दिरहम कितने रुपये का
अब बात करते हैं सऊदी अरब यानी यूएई (दुबई) में चलने वाली प्रमुख मुद्रा दिरहम की. आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 1973 से पहले तक सऊदी अरब और कतर में एक ही मुद्रा रियाल चलती थी. बाद में जब तेल का निर्यात बढ़ने लगा तो सऊदी अरब ने अपनी मुद्रा अलग कर ली और इस तरह दिरहम का जन्म हुआ. एक दिरहम का वर्तमान भारतीय मूल्य 22.92 रुपये के बराबर है.
कतर भी है भारतीयों का पसंदीदा देश
अब तक आपको समझ आ गया होगा कि आखिर कुवैत और सऊदी अरब में भारतीय बड़ी संख्या में क्यों जाते हैं. वहां की थोड़ी सी भी कमाई भारत में आकर कई गुना बढ़ जाती है. ऐसा ही एक और अरबियन देश है कतर, जहां की मुद्रा है रियाल. कतर में जाने वाले भारतीयों की भी अच्छी-खासी संख्या है. कतर के रियाल की बात करें तो एक रियाल की भारतीय मुद्रा में कीमत 22.79 रुपये के बराबर है.