पिछले कुछ दिनों से लगातार महंगाई बढ़ने की खबरें आ रही हैं. कभी दूध के दाम बढ़ रहे तो कहीं टोल महंगा हो रहा. थोक महंगाई की दर भी 15 महीने के शीर्ष पर पहुंच चुकी है और सब्जियों सहित तमाम तरह की दालों के दाम भी बढ़ते ही जा रहे हैं. लेकिन, अब महंगाई के इस डोज से जल्द ही राहत मिलने वाली है. इसके सरकार ने अपना दांव चल दिया है और इसका असर जुलाई से आम आदमी की थाली पर भी दिखना शुरू हो जाएगा.
उपभोक्ता मामलात मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने शुक्रवार को कहा कि आम आदमी को महंगाई से घबराने की जरूरत नहीं है. सरकार ने पूरी रणनीति बना ली है और जुलाई से इसमें गिरावट आनी शुरू हो जाएगी. उन्होंने कहा कि तुअर, चना और उड़द दाल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए बड़ी मात्रा में आयात किया जा रहा है. साथ ही मानसून की अच्छी आवक से इनकी देश में भी बेहतर पैदावार होने की उम्मीद है. सरकार ने घरेलू बाजार में सप्लाई बढ़ाने के लिए आयात बढ़ा दिया है.
अभी कीमतों में तेज उछाल
खरे ने कहा कि तुअर, चना और उड़द दाल की कीमतें पिछले 6 महीने से स्थिर हैं, लेकिन अपनी ऊंची दरों पर. मूंग और मसूर की कीमतें अभी नरम हैं. 13 जून, 2024 को चना दाल की खुदरा कीमत 87.74 रुपये किलो तो तुअर दाल की 160.75 रुपये किलो और उड़द 126.67 रुपये किलो चल रहा था. इसके अलावा मूंग दाल 118.9 रुपये और मसूर की दाल 94.34 रुपये के भाव थी. मंत्रालय ने यह आंकड़ा देश के 550 केंद्रों से जुटाया है
मानसून लेकर आएगा राहत
सचिव ने कहा, हमें पूरी उम्मीद है कि इस बार अच्छा मानसून रहेगा और औसत से ज्यादा बारिश होगी. इससे दाल की बुआई का रकबा बढ़ेगा और किसान भी बाजार के बढ़ते भाव का फायदा उठाना चाहेंगे. पैदावार अच्छी हुई तो घरेलू बाजार में दाल की कीमतें थामने में मदद मिलेगी. इसके लिए हम किसानों को अच्छा बीज भी मुहैया करा रहे हैं.
सरकार बेच रही सस्ती दाल
खरे ने कहा कि आम आदमी को सस्ती दरों पर दाल उपलब्ध कराने के लिए सरकार खुद भी बेच रही है. सरकारी केंद्रों पर लोग 60 रुपये किलो के भाव पर भारत चना दाल खरीद सकते हैं. भारत अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए हर साल करीब 8 लाख टन तुअर दाल और 6 लाख टन उड़द दाल का आयात करता है. इसके अलावा 2023-24 में देश में करीब 33.85 लाख टन तुअर दाल का उत्पादन हुआ, जबकि खपत करीब 45 लाख टन की है. इसी तरह, चना दाल उत्पादन 115.76 लाख टन है तो खपत 119 लाख टन की है.