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राजनांदगांव :जिला अस्पताल दुर्ग में एक लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट भी लगाया गया है

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जिला अस्पताल दुर्ग में एक लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट भी लगाया गया है

दुर्ग : कोरोना की दूसरी व तीसरी लहर में सांसों को संकट दूर करने जिले के 6 सरकारी अस्पतालों में 8 ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए थे। इन्हीं प्लांट को रेगुलर चलाकर उस समय कोरोना पीड़ित ही नहीं आम लोगों की सांसें दी गईं थीं, लेकिन कोरोना काल बीतते ही 8 प्लांट में 5 प्लांट की हालत बिगड़ गई है। मेंटेनेंस नहीं होने से इनमें कुछ न कुछ तकनीकी खराबी आ गई है। ऐसे में स्थानीय प्रभारियों ने मेंटेनेंस होने तक प्लांट को बंद कर दिया है।

सीएम मेडिकल कॉलेज कचांदुर, जला अस्पताल दुर्ग में लगे 2-2 ऑक्सीजन प्लांट में एक-एक प्लांट के अलावा सुपेला, झीठ तथा आयुर्वेदिक अस्पताल का प्लांट बंद है। जिला अस्पताल की ही मदर चाइल्ड यूनिट में हाल ही पीएम केयर फंड से लगा प्लांट और सीएचसी पाटन में सीजी एमएससी द्वारा लगाया गया प्लांट संचालित है। सरकारी अस्पतालों में लगे प्लांट प्राकृतिक हवा से मेडिकल ऑक्सीजन बनाते हैं। प्लांट से वार्डों तक बिछी पाइप के जरिए ऑक्सीजन भर्ती मरीज तक पहुंचने लगती है। जब तक वारंटी कवर थी, तब तक सभी प्लांट रेगुलर संचालित होते रहे हैं। जिन-जिन की वारंटी खत्म हो गई है, वे सभी के सभी बंद पड़े हैं। नोट- जैसा कि स्वास्थ्य विभाग ने बताया।

अस्पताल- क्षमता (ली/ मिनट) योजना मेडिकल कॉलेज 1- 100 0- चल रहा सीजी एमएससी मेडिकल कॉलेज 2- 960- बंद पड़ा पीएम केयर से जिला अस्पताल 1- 960- बंद पड़ा सीजी एमएससी जिला अस्पताल 2- 960- चल रहा पीएम केयर से सुपेला अस्पताल- 960 – बंद पड़ा पीएम केयर से सीएचसी पाटन- 500- चल रहा सीजी एमएससी से सीएचसी झींठ- 280- बंद हो गया डोनेशन से मिला आयुर्वेद अस्पताल- 500- बंद पड़ा डोनेशन से मिला

^कोरोना काल में हमारे यहां लगा प्लांट रेगुलर संचालित था। कोरोना मरीजों के अलाव अन्य मरीजों को भी ऑक्सीजन प्लांट से ही दी जाती रही। लेकिन जब तक प्लांट नया था तब तक चला, अभी बंद हो गया है। मेंटेनेंस के लिए मैने वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखा है। लेकिन अबतक नहीं बन पाया है। ऐसे में जरूरत की ऑक्सीजन जंबो सिलेंडर में खुले बाजार से खरीद रहे हैं। – डॉ. पियम सिंह, प्रभारी, सुपेला।

प्लांट बंद होने से अस्पतालों में कोई परेशानी नहीं है। हर अस्पताल में ऑक्सीजन आपूर्ति को पहले से अन्य दो सोर्स मौजूद है। सबसे पुराना व भरोसेमंद ऑक्सीजन सोर्स जंबो सिलेंडर का उपयोग कर रहे हैं। जिला अस्पताल के मेन स्ट्रीम का प्लांट बंद होने से रोजाना 10 से 12 जंबो सिलेंडर और सुपेला में 2 सिलेंडर खत्म हो रहा है। इनके अलावा हर अस्पतालों में ऑक्सीजन देने का तीसरा सोर्स ऑक्सीजन कांसनट्रेटर भी है। इसीलिए सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट बंद होने से कोई परेशानी खड़ी नहीं हुई है क्योंकि ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने पर जंबो सिलेंडर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से मरीज को ऑक्सीजन दिया जा सकता है। प्लांट रहने पर भी इमरजेंसी के लिहाज से सभी अस्पतालों में जंबो सिलेंडर रखने पड़ते हैं।

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