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क्वाड में सेंध लगाने शी जिनपिंग ने भेजा दूत, अमेरिका को चेकमेट करने वाला प्लान, क्या ऑस्ट्रेलिया झुकेगा

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दुनिया के दो बड़े और महत्वपूर्ण देश ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच संबंधों में बेहतरी क्या अमेरिका को चेकमेट करने वाला प्लान है? इसके तहत जो ‘सफर’ तैयार किया जाएगा क्या ऑस्ट्रेलिया उसके लिए पूरी तरह से तैयार होगा? अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दो देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई इस मुलाकात के मायने क्या हैं…क्या क्वॉड (QUAD) में सेंध लगाने की क्या यह चीनी सफलता है. दरअसल सात सालों बाद किसी चीनी प्रधान मंत्री की ऑस्ट्रेलिया की पहली यात्रा काफी गहरे संकेत दे रही है. ऐसे में कई सवाल एक साथ उठते हुए दिख रहे हैं जो अमेरिका के लिए भी बेहद कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से खासे महत्वपूर्ण कहे जा सकते हैं.

रॉयटर्स के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया और चीन तनावपूर्ण घटनाओं से बचने के लिए सैन्य संचार में सुधार के लिए कदम उठाएंगे. प्रधान मंत्री एंथनी अल्बानीज ने सोमवार को प्रधान मंत्री ली कियांग से मुलाकात के बाद के बाद यह बात कही भी है. बता दें कि क्वॉड QUAD देशों में ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका आते हैं जोकि एक रणनीतिक सुरक्षा संवाद (strategic security dialogue) है.

ली की यात्रा अमेरिका के सुरक्षा सहयोगी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के बीच संबंधों में खटास को कम करने वाली आंकी जा रही है. ली कियांग, अल्बनीज और दोनों देशों के वरिष्ठ मंत्रियों ने ऑस्ट्रेलिया के संसद भवन में मुलाकात की और व्यापारिक बाधाओं को खत्म करने, दोनों देशों की सेनाओं के बीच संघर्ष और ऑस्ट्रेलिया में महत्वपूर्ण खनिजों में निवेश करने की चीन की इच्छा जैसे कई जटिल मुद्दों पर चर्चा की है.

ऑस्ट्रेलिया और चीन ऐसे दौर से उबरते हुए लग रहे हैं जिसमें दोनों देशों के बीच काफी हद तक संबंधों में खटास थी. व्यापारिक रोकों के कारण ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों को हर वर्ष 20 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक का नुकसान हो रहा था. शनिवार को एडिलेड और रविवार को राष्ट्रीय राजधानी कैनबरा पहुंचे. यह सात वर्षों में किसी चीनी प्रधानमंत्री की ऑस्ट्रेलिया की पहली आधिकारिक यात्रा है. ली, राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बाद चीन के सबसे वरिष्ठ नेता हैं.

वहीं, अल्बनीज ने बातचीत को ‘रचनात्मक’ करार दिया. अल्बनीज ने कहा, ऑस्ट्रेलिया इस बात की वकालत करता है कि हम सभी को क्षेत्रीय संतुलन को बढ़ावा देने के लिए इस तरह मिलकर काम करना चाहिए, जहां कोई भी देश हावी न हो और किसी भी देश का वर्चस्व न हो

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