आईआईएफएल सिक्योरिटीज से जुड़े इन्वेस्टमेंट एडवाइजर संजीव भसीन मार्केट रेग्युलेटर सेबी के रडार में आ गए हैं. भसीन पर मार्केट मैनिपुलेशन का आरोप लगा है. मामले से जुड़े लोगों ने बताया है कि सेबी ने साक्ष्य जुटाने के लिए भसीन के डिजिटल डिवाइसेज की जांच की है. आईआईएफएल ने कहा है कि भसीन उनके बोर्ड का अब हिस्सा नहीं हैं. उन्होंने कहा कि भसीन का कार्यकाल समयपूर्व खत्म कर दिया गया था.
सेबी और भसीन की ओर से इस मामले में कोई औपचारिक बयान नहीं आया है. आपको बता दें कि संजीव भसीन स्टॉक मार्केट में जाना-माना नाम हैं. उन्हें अक्सर टेलीविजन चैनलों पर स्टॉक्स के बारे में सलाह देते हुए देखा जाता है.
शुरुआती जांच में क्या आया सामने?
खबरों के अनुसार, इस मामले की शुरुआती जांच से संकेत मिले हैं कि भसीन एक निजी कंपनी को कुछ स्टॉक खरीदने का निर्देश देते और फिर टीवी पर इन शेयरों की सिफारिश करते. जब खुदरा निवेशकों से पर्याप्त निवेश मिल जाता और स्टॉक की कीमत बढ़ जाती तो कंपनी स्टॉक को डंप कर देती. जांच में भसीन और इस इकाई के बीच संबंध की भी जांच की जा रही है. सेबी द्वारा जांच की जा रही कार्रवाइयों को बाजार की भाषा में ‘पंप और डंप’ योजना के रूप में जाना जाता है. मामले की जानकारी रखने वाले 2 लोगों ने बताया है कि भसीन के पास जो डिजिटल डिवाइस हैं उनसे मिले साक्ष्य उनकी संलिप्तता की पुष्टि करते हैं.
क्या है नियम
सोलोमन एंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर आरोन सोलोमन ने मनीकंट्रोल को बताया कि अगर कोई व्यक्ति मीडिया के जरिये या पब्लिक प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों के बीच आकर इन्वेस्टमेंट की सलाह देता है तो उसे सेबी के नियमों का पालन करना होता है. सेबी के नियमों के तहत कोई ऐसा व्यक्ति सलाह के 30 दिन पहले और सलाह के 5 दिन बाद तक उस सिक्योरिटी में निवेश या निकास नहीं कर सकता है जिसके बारे में उसने लोगों को सलाह दी है. साथ ही उस व्यक्ति के लिए उन स्टॉक्स में अपने निवेश को भी सार्वजनिक करना होता है जिसके बारे में उसने बात की है.