बस्तर संभाग में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 20 साल बाद स्कूल फिर से खुल रहे हैं. इस साल बीजापुर जिले में 24 बंद स्कूलों को फिर से खोला गया है और 32 नए स्कूल शुरू किए गए हैं.
नक्सलवाद का दंश झेल रहे छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में जवानों के प्रयास से गांव-गांव तक न सिर्फ सड़क,बिजली की सुविधा पहुंच रही है, बल्कि पिछले दो दशक से शिक्षा से वंचित हो गए इन गांवों के बच्चों को शिक्षा का अधिकार देने स्कूल भी खोले जा रहे हैं. इस साल भी नये स्कूली शिक्षा सत्र से बीजापुर जिले में ही पिछले कई सालों से बंद 24 स्कूलों को दोबारा खोला गया है. साथ ही 32 नये स्कूलों को शुरू किया गया है.
करीब 20 साल बाद बुधवार को इस नक्सलगढ़ में स्कूल की घंटी बजी है और बच्चे काफी खुश होकर स्कूल पहुंचे. इन गांवों में मुतवंडी गांव भी शामिल है, जहां कुछ महीने पहले ही क्रास फायरिंग में एक दूधमुंहे बच्ची की जान चली गई थी, जिसके बाद जवानों ने इस गांव से न सिर्फ नक्सलियों को बैकफुट पर लाया बल्कि यहां के बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा शुरू हो सके इसके लिए सुरक्षा के साए में यहां स्कूल बनवाया और आज इसी गांव के बच्चे खुशी-खुशी स्कूल पहुंचे. स्कूल के पहले दिन बच्चों को बकायदा तिलक लगाकर उनका वेलकम किया गया.
बच्चों को स्कूल भेजने प्रशासन की टीम ने घर-घर दी दस्तक
दरअसल बीजापुर जिले में नियद नेल्लानार के जरिये गांव-गांव तक विकास कार्य पहुंचाने के साथ स्कूल फिर चले अभियान (स्कूल वेंडे वर्राट) से शिक्षा की मुख्य धारा में लौटने की अपील की जा रही है, और इसका असर अब नक्सल प्रभावित इलाक़ों में दिखने लगा है. यही वजह है कि मुतवंडी गांव को प्रशासन ने खास फोकस किया और यहां अब 20 साल बाद दोबारा स्कूल की शुरुआत की है और 20 साल बाद इस गांव में बजी स्कूल की घंटे से बच्चों के माता पिता में खुशी की लहर दौड़ गयी है.
बीजापुर जिले के शिक्षा अधिकारी रमेश निषाद ने बताया कि अब यहां के बच्चे स्कूल जाने के साथ ही क ख ग घ के तालीम ले सकेंगे. शिक्षा अधिकारी रमेश निषाद ने बताया कि ग्रामीणों में नक्सलियों का भय खत्म करने और बच्चों को स्कूल भेजने के लिए स्कूल वेंडे वर्राट पंडुम के तहत स्थानीय शिक्षकों के द्वारा घर-घर दस्तक अभियान दिया गया और शिक्षकों के द्वारा शालात्यागी और अप्रवेशी बच्चों की शाला में वापसी के लिए घर-घर दस्तक दी गई और परिजनों को आश्वस्त किया कि अब इस गांव के बच्चों को भी शिक्षा का अधिकार मिल सकेगा और इनका भविष्य सुनहरा हो सकेगा.
इसके बाद ग्रामीणों ने खुद कई जगहों पर स्कूल के लिए झोपड़ी तैयार किया, ताकि शिक्षा के मंदिर में उनके बच्चों का भविष्य संवर सके. जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में गांव के शिक्षित बेरोजगारों को शिक्षा दूत बनाकर उन्हें हर महीने मानदेय मुहैया कराया जाएगा. इन शिक्षादूत के जरिए बच्चे बेहतर शिक्षा ले सकेंगे. बकायदा इन बच्चों के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा गणवेश और कॉपी पुस्तक भी मुहैया कराई गयी है.
24 बंद स्कूलों को और 32 नए स्कूलों को खोला गया
वहीँ बीजापुर कलेक्टर अनुराग पांडे ने बताया कि जिला प्रशासन के द्वारा चलाई गई महिम स्कूल वेंडे वर्राट पंडुम का व्यापक प्रभाव नक्सल इलाकों में देखने को मिल रहा है ,इसी का नतीजा यह है की नई शिक्षा सत्र में अकेले बीजापुर जिले में ही 24 बंद स्कूलों को और 32 नए स्कूलों को खोला गया है, इसमें डुमरीपालनार, तोड़का, शावनार, कोर्चोली, कावड़गांव जैसे ऐसे 25 से भी अधिक गांव है जहां पर 20 साल बाद स्कूल खोले गए है.