दुनिया के टॉप-10 एयरपोर्ट में शुमार इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) के टर्मिनल-1 पर हुए हादसे ने पूरे देश को चौंका दिया है. हर किसी की जबान पर एक सही सवाल है कि आखिर सबसे सुरक्षित माने जाने वाले एयरपोर्ट क्यों ढह रहे हैं. लोगों को आसमान में उड़ाने वाले एयरपोर्ट हल्की बारिश और हवा चलने भर से जमीन पर गिर जा रहे. ऐसा नहीं है कि दिल्ली एयरपोर्ट की घटना पहली है, इससे पहले भी देश के कई एयरपोर्ट पर इस तरह के हादसे हो चुके हैं. सालभर के भीतर ही देश के 3 एयरपोर्ट पर इस तरह के हादसे हो चुके हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि इन सभी हादसों का एक ही कारण रहा है.
एयरपोर्ट के भवन गिरने या अन्य किसी खंड के ढहने की वजह हमेशा प्राकृतिक आपदा ही रही है. दिल्ली एयरपोर्ट का टर्मिनल-1 भी बारिश की वजह से टूटा, क्योंकि छत पर पानी भरने की वजह से छत भारी हो गई और हवा के झोंके से छत में लगे सपोर्टिंग पिलर टूट गए. हालांकि, इतनी सुरक्षा वाली जगह के रखरखाव को लेकर सवाल जरूर उठ रहे हैं, लेकिन इससे पहले असम और अंडमान के एयरपोर्ट पर हुई घटना को देखें तो यहां भी प्राकृतिक आपदा की वजह से ही एयरपोर्ट पर हादसे हुए थे.
तेज हवा ने गिरा दिया अंडमान एयरपोर्ट
यह घटना पिछले साल जुलाई में हुई जब अंडमान के पोर्ट ब्लेयर स्थित वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को तेज हवाओं ने ढहा दिया. यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एयरपोर्ट का वर्चुअली उद्घाटन करने के कुछ ही समय बाद हुई. इसके बाद तो कांग्रेस और भाजपा में राजनीतिक बहस भी छिड़ गई. हालांकि, अच्छी बात ये रही कि इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ.
गुवाहाटी एयरपोर्ट भी बना शिकार
मार्च, 2024 में यानी 3 महीने पहले एयरपोर्ट की छत गिरने की एक और घटना असम के गुवाहाटी स्थित लोकप्रिय गोपीनाथ बरडोलोई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हुई. यहां बारिश के साथ तेज हवाओं ने एयरपोर्ट की छत को कमजोर कर दिया. हालांकि, इस घटना में कोई घायल तो नहीं हुआ लेकिन विमानों का परिचालन काफी समय तक ठप रहा था. इसके बाद 6 फ्लाइट को डायवर्ट भी किया गया था.
पहली बार हादसे में गई जान
सालभर के भीतर एयरपोर्ट की छत गिरने का तीसरा मामला आईजीआई दिल्ली में सामने आया और पहली बार इस तरह के हादसे में किसी की जान गई और घायल हुए. आईजीआई एयरपोर्ट का टर्मिनल-1 इस हादसे का शिकार बना जिसमें करीब 6 लोग घायल हो गए और एक व्यक्ति की मौत बताई जा रही है.