18वीं लोकसभा का गठन हो चुका है. लोकसभा चुनाव में जहां सत्ता पक्ष पहले से कमजोर हुआ है, वहीं विपक्ष पहले से मजबूत. अब इसका असर लोकसभा सत्र के दौरान भी देखा जा रहा है. हालांकि सरकार के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष पर हमलावर हैं. लेकिन विपक्ष भी NEET पेपर लीक पर सरकार को लागातर घेर रही है. पीएम मोदी के आपातकाल के जिक्र के बाद देश में एक बार फिर राजनीतिक भूचाल आ गया है. संसद में भी यह मुद्दा खूब गरम है. इस बीच अब कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक लेख लिखकर मोदी सरकार पर जमकर सवाल उठाया है.
द हिंदू में सोनिया गांधी ने अपने लेख में कहा कि ‘2024 के चुनाव में पीएम की व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार हुई. खुद को ईश्वरीय शक्ति घोषित करने वाले पीएम मोदी के लिए ये चुनाव परिणाम उनकी घृणा की राजनीति का अस्वीकरण था. पीएम मोदी सहमति की बात करते हैं लेकिन टकराव का रास्ता अख्तियार करते हैं.’
इमरजेंसी का दिया जवाब
सोनिया गांधी ने लेख में आगे लिखा है सरकार की तरफ से जब हमसे स्पीकर चुनाव में समर्थन की मांग की गई तो हमने कहा कि परंपरा के मुताबिक उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिलना चाहिए, लेकिन सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी. बल्कि प्रधानमंत्री ने इमरजेंसी का जिक्र किया और आश्चर्यजनक रूप से स्पीकर ने भी ध्यान भटकने के लिए वही किया. मार्च 1977 में देश के लोगों ने इमरजेंसी लगाई जाने पर अपना फैसला सुनाया जिसे स्वीकार किया गया था.
NEET पर सरकार को सुनाया
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष ने अपने लेख में आगे लिखा NEET घोटाले पर, जिसने हमारे लाखों युवाओं के जीवन पर कहर बरपाया है, शिक्षा मंत्री की तत्काल प्रतिक्रिया यह थी कि जो कुछ हुआ है, उसकी गंभीरता को नकार दिया जाए. प्रधानमंत्री मोदी जो अपनी ‘परीक्षा पे चर्चा’ करते हैं, वे देश भर में इतने सारे परिवारों को तबाह करने वाली लीक पर स्पष्ट रूप से चुप हैं.
बुलडोजर एक्शन पर घेरा
उन्होंने लेख में आगे लिखा इस बीच, भारत के अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और धमकी का अभियान एक बार फिर तेज हो गया है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित राज्यों में, बुलडोजर फिर से अल्पसंख्यकों के घरों को महज आरोपों के आधार पर ध्वस्त कर रहे हैं, उचित प्रक्रिया का उल्लंघन कर रहे हैं और सामूहिक दंड दे रहे हैं.
‘प्रधानमंत्री को आत्म विश्लेषण करना चाहिए’
सोनिया गांधी ने लेख में आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने चुनाव के दौरान अपने पद की मर्यादा का ख्याल न रखते हुए झूठ बोला और सांप्रदायिक बातें कहीं. मणिपुर जलता रहा लेकिन प्रधानमंत्री वहां जाने का समय नहीं निकाल पाए. प्रधानमंत्री के 400 पार के नारे को जनता ने रिजेक्ट किया इस पर उनको आत्म विश्लेषण करना चाहिए.