लद्दाख में एक ड्रिल के दौरान इंडियन आर्मी के 5 जवान शहीद हो गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये टी-72 (T-72 Tank) टैंक पर सवार थे और श्योक नदी में अभ्यास कर रहे थे. इसी दौरान अचानक पानी का तेज बहाव आया और टैंक फंस गया. इंडियन आर्मी के शहीद जवान जिस टैंक पर सवार थे, उसे भारत का ‘महाबली’ कहा जाता है. पिछले 54 साल से इंडियन आर्मी का सबसे भरोसेमंद साथी रहा है.
कहां से आया टी-72 टैंक
टी-72 टैंक (T-72) सोवियत रूस ने 1960 के दशक में विकसित किया और रूसी सेना ने तमाम मोर्चों पर इसका इस्तेमाल शुरू किया. 1962 में चीन से लड़ाई के बाद भारतीय सेना को आधुनिक हथियारों से लैस करने की योजना बनी. इसी क्रम में 1970 के आसपास भारत ने रूस से टी-72 टैंक खरीदा. यह यूरोप से बाहर भारत का पहला टैंक सौदा था.
इंडियन आर्मी का कवच
सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसे न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल अटैक से बचने के लिए बनाया गया है. T-72 टैंक में 125 एमएम की गन लगी हुई है. साथ इसमें फुल एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर की सुविधा भी है. भारतीय सेना में शामिल होने के बाद टी-72 टैंक तमाम लड़ाईया में इंडियन आर्मी का सबसे मजबूत कवच बना और धीरे-धीरे इसका नाम ‘अजेय’ पड़ गया.
टी-72 टैंक की खासियत
– 1970 के दशक में भारत में आया
– 41000 किलो या 41 टन वजन
– 780 हॉर्स पावर जेनरेट करता है
– 60 किलोमीटर की स्पीड
– 125 मिली मीटर की तोप लगी है
– 4500 किलोमीटर दूरी तक मार कर सकता है
– न्यूक्लियर अटैक झेलने की क्षमता
क्यों हटाने की तैयारी में सेना?
भारतीय सेना टी-72 टैंक्स को हटाने की तैयारी कर रही है. कुछ समय पहले ही टाइम्स आफ इंडिया ने एक रिपोर्ट छापी. इसके मुताबिक इंडियन आर्मी साल 2030 तक टी-72 टैंक्स को रिटायर करने की योजना बना रही रही है. आर्मी इसी साल 57000 करोड़ रुपए की लागत वाले एक प्रोजेक्ट के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) इश्यू करने की तैयारी में है. इस प्रोजेक्ट के तहत भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कॉम्बैट व्हीकल (Future Ready Combat Vehicles or FRCVs) तैयार किये जाएंगे.