नए क्रिमिनल कानून: भारत में 3 नए अपराध कानून सोमवार से लागू हो गए. ये कानून हैं- भारतीय न्याय संहिता , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम . तीनों कानून दिसंबर 2023 में संसद से पास हुए थे. ये इंडियन पीनल कोड 1860, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1973 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 की जगह लेंगे.
भारत में आजादी के बाद से ही औपनिवेशिक काल के आपराधिक कानून लागू थे. हालांकि बीच-बीच में इनमें संशोधन भी किया गया. पर लंबे वक्त से बड़े बदलाव की मांग की जा रही थी. सरकार ने जब तीन नए कानून बनाए तो कहा कि ”यह भारतीयों द्वारा, भारत के लिए बनाए गए कानून हैं…”
तीन नए कानून- BNS, BNSS और BSA में क्या चीजें नई हैं, किन अपराध को पहली बार शामिल किया गया है, क्या सजा तय की गई है, आइये समझते हैं…
धोखे से देकर शारीरिक संंबंध बनाना
1. भारतीय न्याय संहिता (BNS) में कई नए अपराधों को भी शामिल किया गया है. उदाहरण के तौर पर धारा 69 है, जिसमें ‘छलपूर्वक’ यौन संबंध के केस में सजा का प्रावधान है. इस सेक्शन में कहा गया है, “कोई शख़्स ‘छलपूर्वक साधन’ या किसी महिला से शादी करने का वादा कर (जिसे पूरा करने का कोई इरादा नहीं है) उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता है, उस दस साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है…’ ‘छलपूर्वक साधन’ में रोजगार या पदोन्नति का झूठा वादा, किसी तरीके का दबाव डालना या असली पहचान छिपाकर शादी करना शामिल है.
लिचिंग जैसे अपराध
2. भारतीय न्याय संहिता (BNS), की धारा 103 के तहत, पहली बार जाति, नस्ल या समुदाय के आधार पर की गई हत्या को एक अलग अपराध के रूप में मान्यता दी गई है. सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में केंद्र सरकार को लिंचिंग के लिए एक अलग कानून पर विचार करने का निर्देश दिया था. ऐसे में अब इस नए प्रावधा के जरिये हाल के वर्षों में जाति-धर्म के आधार पर हुए अपराधों को कानूनी मान्यता दी जा सकेगी.
संगठित अपराध
3. BNS में एक और महत्वपूर्ण बदलाव संगठित अपराध (Organised Crime) और आतंकवाद जैसे अपराधों को शामिल करना है. पहले ये अपराध अलग-अलग कानूनों के दायरे में आते थे. जैसे- आतंकवाद के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम या UAPA और राज्य के अपने कानून जैसे- महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम.
आतंकवाद
हालांकि, BNS में आतंकवाद से जुड़े जो प्रावधान हैं, उसमें काफी चीजें UAPA से ली गई हैं. इसी तरह, संगठित अपराध को धारा 111(1) में परिभाषित किया गया है. जिसमें- अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, जमीन हड़पना, सुपारी किलिंग, आर्थिक अपराध, गंभीर परिणाम वाले साइबर अपराध, ड्रग्स, अवैध वस्तुओं या सेवाओं और हथियारों की तस्करी, वेश्यावृत्ति या फिरौती के लिए मानव तस्करी गिरोह जैसी गैरकानूनी गतिविधि शामिल हैं.
स्नेचिंग या छिनैती
4. भारतीय न्याय संहिता (BNS) में पहली बार स्नेचिंग (Snatching) को भी नए अपराध की कैटेगरी में शामिल किया गया है. संहिता की धारा 304(1) में कहा गया है, “यदि अपराधी चोरी करने के इरादे से किसी व्यक्ति के कब्जे से उसकी चल संपत्ति जबरदस्ती छीन लेता है/पकड़ लेता है/ या हथिया लेता है तो इसके दायरे में आएगा..’. चोरी और छीनाझपटी दोनों में तीन साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है.