देश में गरीबी के मोर्चे पर एक अच्छी खबर आई है. भारत में गरीबी तेजी से घट रही है और इससे आंकड़ों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. टीओआई में छपी रिपोर्ट में एक नए सर्वे के अनुमान के अनुसार, 2011-12 से लेकर अब तक गरीबी 21% से घटकर 8.5% रह गई है. यह एक बड़ा आंकड़ा है. इस सर्वे में यह भी बताया गया है कि वंशानुगत (पीढ़ी दर पीढ़ी) गरीबी में कमी आई है. लेकिन, ऐसे लोगों अनुपात ज्यादा है जो “जीवन में किसी त्रासदी” के कारण वापस गरीबी में जा सकते हैं.
मंगलवार को थिंक टैंक एनसीएईआर के सोनाल्डे देसाई के नेतृत्व में अर्थशास्त्रियों के एक पेपर में गरीबी के आंकड़ों को लेकर यह अनुमान लगाया गया है. इस सर्वे में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी अनुपात में तेजी से गिरावट आई है और यह 2011-12 में 24.8% से घटकर अब 8.6% हो गई है. वहीं, शहरी क्षेत्रों में गरीबी 13.4 फीसदी से घटकर 8.4 फीसदी हो गई है
यह अनुमान एसबीआई रिसर्च से ज्यादा है, जिसने ग्रामीण गरीबी 7.2% और शहरी गरीबी 4.6% की कमी का अनुमान लगाया था. मार्च में, आरबीआई के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन और अर्थशास्त्री एस महेंद्र देव ने एचसीईएस के आधार पर अनुमान लगाया है कि 2011-12 की तुलना में 2022-23 में भारत की गरीबी दर घटकर 10.8% हो जाएगी.
भारत मानव विकास सर्वेक्षण के शुरुआती निष्कर्षों के आधार पर, हाल ही में तेंदुलकर समिति द्वारा महंगाई-समायोजित गरीबी रेखा का उपयोग करके गरीबी के कुल अनुपात का अनुमान लगाया गया. इस डाटा का उपयोग सरकार अपनी लोक कल्याणकारी योजनाओं को बनाने और उन्हें बेहतर तरीके से लागू करने के लिए करती है.
नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने लेटेस्ट घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण का हवाला देते हुए दावा किया कि देश में गरीबी 5 प्रतिशत से नीचे आ गई है.अगस्त 2022 और जुलाई 2023 के दौरान कंडक्ट किए सर्वे से पता चला है कि सरकार द्वारा लागू गरीबी उन्मूलन उपाय कारगर साबित हो रहे हैं.