देश के कई रेलवे स्टेशन झटपट बनेंगे. इन स्टेशनों को मॉड्यूलर बनाया जा रहा है, जिससे इनको बनाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. इस तकनीक से बनने वाले स्टेशनों को चिन्हित करने का काम भी हो चुका है और जल्द ही काम भी शुरू हो जाएगा. गौरतलब है कि प्रयोग के तौर पर चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन को इसी तकनीक से बनाया जा रहा है, जो इस वर्ष संचालन में आ जाएगा.
भारतीय रेलवे देश में 1000 से अधिक रेलवे स्टेशनों को रिडेवलप कर रहा है. इसमें 500 से अधिक स्टेशनों की घोषणा पिछले वर्ष की गयी थी और 500 से अधिक स्टेशनों के रिडेवलपमेंट करने के काम इस वर्ष शुरू हो चुका है. पिछले वर्ष चिन्हित किए गए स्टेशनों में चंडीगढ़ स्टेशन था, जिसे मॉड्यूलर बनाया जा रहा है.
चंडीगढ़ में प्रयोग रहा सफल
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन को प्रयोग के तौर पर मॉड्यूलर बनाया गया है, जो इस वर्ष अंत तक शुरू हो जाएगा. इसके निर्माण की शुरुआत पिछले वर्ष की गयी थी. मॉड्यूलर स्टेशन 18 महीने में तैयार हो जाते हैं, जबकि सामान्य स्टेशन को बनने में 36 माह का समय लगता है. इस तरह सामान्य स्टेशनों से आधे समय में मॉड्यूल स्टेशन बनकर तैयार हो जाएंगे.
रेलमंत्री ने पहले कर दी थी घोषणा
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पूर्व में यह घोषणा की थी कि चंडीगढ़ मॉडल सफल होने पर देश के कई और स्टेशनों में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. इसी वजह से करीब 10 और स्टेशनों को मॉड्यूलर बनाने का फैसला किया गया है. इसमें सतना, जबलपुर, अजमेर रेलवे स्टेशन शामिल हैं जो घनी आबादी में बने हैं.
इस तकनीक से संचालन कम होगा प्रभावित
इस तकनीक से स्टेशन बनाने दो सबसे बड़े फायदे होते हैं. पहला स्टेशनों से ट्रेनों का संचालन कम से कम प्रभावित होता है. क्योंकि कई स्टेशन ऐसे हैं, जिनमें काफी संख्या में ट्रेनों का संचालन हो रहा है. स्टेशन रिडेवलप करने के दौरान कुछ ट्रेनों का संचालन प्रभावित होता है. दूसरा जो स्टेशन घनी आबादी के बीच हैं, वहां पर मैटेरियल पहुंचाने में समस्या आती है. इस तकनीक से राहत रहेगी.
इस तकनीक से बनने वाले स्टेशनों का स्ट्रक्चर फैक्ट्रियों में तैयार किया जाएगा और स्टेशन पर लाकर एसेंबल किया जाएगा. इस तरह कम समय में स्टेशन को तैयार किया जाएग.