देश का आम बजट 23 जुलाई को आने वाला है. इस दिन एक रिकॉर्ड भी दर्ज होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार 7 बार बजट पेश करने वाली देश की पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी. बजट से पहले न्यूज 18 इंडिया ने आर्थिक मामलों के जानकार वेद जैन से समझने की कोशिश की कि आखिर वित्त मंत्री के पिटारे से क्या निकल सकता है.
वेद जैन ने कहा कि चुनाव के बाद के बजट से उम्मीद बहुत होती है क्योंकि चुनाव के बाद जो पहला बजट आता है, जिन चीजों का जिक्र मेनिफेस्टो में होता है या फिर जो भाषण दिए गए होते हैं उन्हें पूरा करने की बजट में पूरी-पूरी कोशिश की जाती है. क्योंकि चुनाव हो चुके हैं और 5 साल के लिए सरकार आई है तो सरकार की यह भी कोशिश होगी कि देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और देश की जनता में ओवरऑल लॉन्ग टर्म में खुशहाली लाने के लिए जो भी कदम उठाने होंगे वह उठाए जाएंगे. वेद जैन ने कहा कि चुनाव के वादों का प्रेशर है तो दूसरी तरफ सरकार के सामने राहत इस बात की है कि 5 साल के बाद चुनाव आएंगे जो कुछ भी कड़े कदम उठाने पड़े तो उठाए जा सकते हैं ऐसे में तालमेल बनाने की कोशिश की जाएगी.
महत्वपूर्ण और आसान बजट
वेद जैन ने कहा कि यह बजट महत्वपूर्ण और आसान है क्योंकि पिछले 2 साल में अर्थव्यवस्था अच्छी रही है. टैक्स का कलेक्शन अच्छा रहा है. रेवेन्यू जब अच्छा आता है तो वित्त मंत्री के पास ऑप्शन बढ़ जाते हैं कि उस पैसे को कैसे इस्तेमाल किया जाए. उसका एलोकेशन किस तरीके से किया जाए. पैसे जब एक्स्ट्रा आते हैं तो खर्च भी बढ़ते हैं. लोगों की खुशहाली और तरक्की के लिए सरकार को काम करने की जरूरत है.
किसानों के लिए क्या?
बकौल जैन, किसानों के लिए सरकार घोषणा कर सकती है. किसान निधि के रूप में जो सब्सिडी दी जाती है उसे ₹6000 से बढ़ाया जा सकता है. उसके अलावा सरकार ने हाउसिंग फोर ऑल की बात कही है तो उस पर भी सरकार अनाउंसमेंट कर सकती है.
ढाई लाख करोड़ का एक्स्ट्रा कलेक्शन
वेद जैन ने न्यूज 18 इंडिया को दिए खास इंटरव्यू में बताया कि साल 2024- 25 में सरकार के पास ढाई लाख करोड़ का एक्स्ट्रा कलेक्शन का अनुमान है. इसके तीन कारण है. इनकम टैक्स और जीएसटी कलेक्शन, रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने एक्स्ट्रा डिविडेंड दिया है उसका कलेक्शन आ रहा है और ओवरऑल नो टैक्स रिवेन्यू है वह भी ठीक-ठाक आया है. इस पैसे को किस तरीके से एलोकेट किया जाए उसके लिए चुनावी वायदे को पूरा करना है. किसानों की आमदनी को बढ़ाना है. इसके अलावा नया मंत्रिमंडल बनने के बाद पहली मीटिंग में हाउसिंग फोर ऑल की बात कही गई थी उसके लिए भी बड़े एलोकेशन की जरूरत है. रोजगार के बारे में भी सरकार को सोचना पड़ेगा. उसके लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार के ऑप्शन हो सकते हैं. जितने भी विकसित देश हैं वहां पर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार के तमाम ऑप्शन मिलते हैं.
इनकम टैक्स को लेकर क्या?
वेद जैन ने कहा कि इनकम टैक्स पर लोगों को बड़ी उम्मीदें रहती हैं लेकिन हैरानी की बात यह है कि 140 करोड़ की आबादी वाले देश में सिर्फ 8 करोड़ टैक्सपेयर्स हैं और उसमें से 5 करोड़ ऐसे टैक्सपेयर्स हैं जो कभी टैक्स नहीं चुकाते हैं लेकिन सभी लोग टैक्स में छूट की उम्मीद लगाकर बैठते हैं. इस बजट में इंडिविजुअल टैक्स छूट मिलने की कम ही उम्मीद है.