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यूपीएससी चेयरमैन ने दिया इस्तीफा, कार्यकाल 5 साल बचा था…

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दिल्ली। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. फर्जी प्रमाणपत्र और ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर विवाद के बीच यूपीएससी के अध्यक्ष मनोज सोनी ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना कार्यकाल खत्म होने से पांच साल पहले ही अपना इस्तीफा दे दिया है. हालाँकि उनका इस्तीफा स्वीकार किया नहीं किया गया है.

जानकारी के मुताबित, यूपीएससी चेयरपर्सन मनोज सोनी ने एक महीने पहले राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. मनोज सोनी अपने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है. हालाँकि उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है. बता दें, मनोज सोनी के कार्यकाल खत्म होने में पांच साल बचे है. वे साल 2017 में संघ लोक सेवा आयोग में सदस्य के तौर पर शामिल हुए थे.16 मई 2023 को उन्होंने यूपीएससी के अध्यक्ष पद की शपथ ली थी. मनोज सोनी का कार्यकाल 2029 में खत्म होना है.

मनोज सोनी के इस्तीफे को ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर विवाद और यूपीएससी उम्मीदवारों द्वारा नौकरी पाने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र जमा करने के मामले से जोड़ा जा रहा था. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया है. उस विवाद से कोई सम्बन्ध नहीं है. वे अनुपम मिशन में अधिक समय देना चाहते हैं. उन्होंने निष्काम कर्मयोगी यानी नि:स्वार्थ कार्यकर्ता के रूप में दीक्षा ली है.
कौन है मनोज सोनी

मनोज सोनी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाते है. 2005 में जब वे 40 वर्ष के थे, तब नरेंद्र मोदी ने उन्हें वडोदरा के प्रसिद्ध एमएस विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया था. गुजरात के दो विश्वविद्यालयों में तीन बार कुलपति रह चुके हैं. इसके अलावा डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ओप यूनिवर्सिटी के भी कुलपति रह चुके है.

मनोज सोनी का पूरा जीवन बहुत ही संघर्ष भरा रहा. यूपीएससी चेयरमैन बनने के बाद उनकी नियुक्ति पर भी विवाद किया गया है. मनोज सोनी बेहद गरीब परिवार से हैं. डॉ. मनोज सोनी का जन्म 17 फरवरी 1965 को मुंबई में हुआ था. सोनी की पत्नी कॉलेज में प्रफेसर हैं. उनका बेटा अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है. मनोज जब 5वीं क्लास में थे तभी उनके सिर से पिता का साया छिन गया. उनके पिता एक फुटपाथ पर कपड़े बेचा करते थे. पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी मनोज सोनी पर आ गई.

अगरबत्ती बेचकर की पढाई
घर चलाने के लिए मनोज सोनी मुंबई की सडक़ों पर अगरबत्ती बेचना थे और परिवार का भरण-पोषण करते थे. लेकिन उन्होंने अपनी पढाई नहीं छोड़ी. उसके बाद मनोज अपने परिवार के साथ 1978 में गुजरात के आणंद आ गए. और वहीँ से सोनी ने 11वीं और 12वीं की पढाई की. 12वीं क्लास में मनोज सोनी साइंस विषय से परीक्षा दी थी जिसमे वे में फेल हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने राजरत्न पीटी पटेल कॉलेज में आर्ट्स से पढ़ाई की. उन्होंने वडोदरा के एमएस यूनिवर्सिटी से बीए और एमए की पढ़ाई की. इस दौरान वो टाइपिस्ट का काम करते थे. उसके बाद उन्होंने सरदार पटेल विश्वविद्यालय, वल्लभ विद्यानगर से अंतरराष्ट्रीय संबंधों (आईआर) की पढ़ाई की. बता दें, मनोज सोनी राजनीतिक विज्ञान के विद्वान हैं और इंटरनेशनल रिलेशंस स्टडीज में उनकी स्पेशलाइजेशन है.

कम उम्र में कुलपति बनने का रिकॉर्ड
पढाई पूरी होने के बाद मनोज सोनी ने यूपीएससी की परीक्षा दी. जिसमे वो असफल रहे. दूसरी प्रयास में लिखित परीक्षा पास कर ली और इंटरव्यू तक पहुंचे. लेकिन इंटरव्यू में असफल रहे. वही, 2005 में जब वे 40 वर्ष के थे, तब उन्हें वडोदरा के प्रसिद्ध एमएस विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया. उनके नाम देश का सबसे कम उम्र में कुलपति बनने का रिकॉर्ड है. 2015 तक दो बार डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में काम किया.

डॉ. सोनी 2017 में संघ लोक सेवा आयोग में सदस्य नियुक्त हुए थे. सदस्य के रूप में कार्य करने के बाद 16 मई 2023 को उन्होंने यूपीएससी के अध्यक्ष पद की शपथ ली थी. मनोज सोनी का कार्यकाल 2029 में खत्म होना है. जनवरी 2020 में उन्होंने निष्काम कर्मयोगी यानी नि:स्वार्थ कार्यकर्ता के रूप में दीक्षा ली. बताया जाता है सोनी के पिता स्वामीनारायण संप्रदाय के अनुपम मिशन से जुड़े हुए थे, उनकी मृत्यु के बाद मिशन ने परिवार और सोनी की पढ़ाई में भी मदद की थी.

अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड से सम्मानित
उन्होंने पोस्ट कोल्ड वॉर इंटरनैशनल सिस्टमिक ट्रांजिशन एंड इंडो-यूएस रिलेशंस पर रिसर्च की है. वे अंडरस्टैंडिंग द ग्लोबल पॉलिटिकल अर्थक्वेक नाम की पुस्तक भी लिख चुके हैं. उन्हें कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड और सम्मान मिल चुके हैं. सोनी ने 2002 के गुजरात दंगों को लेकर इन सर्च ऑफ ए थर्ड स्पेस नाम की किताब भी लिखी.

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